मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। राज्य के चुनावी माहौल की बात की जाए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधनी विधानसभा सीट में अजेय रहे हैं, पर इस बार का चुनाव उनके लिए थोड़ा अलग लग रहा है। भाजपा ने इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए ‘मामा’ को पार्टी का चेहरा नहीं बनाया है।

राज्य में ‘मामा’ के नाम से मशहूर चौहान ने बुधनी सीट से पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ा है और 60 प्रतिशत या उससे अधिक वोट हासिल करके वह अजेय रहे हैं। इस बार का चुनाव बुधनी के लिए थोड़ा अलग दिखाई दे रहा है। इस बार सत्तारूढ़ दल ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए लोकसभा के सात सदस्यों को मैदान में उतारा है, जिनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रह्लाद पटेल, रीति पाठक, राकेश सिंह, गणेश सिंह और उदय प्रताप सिंह शामिल हैं। भाजपा ने पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी चुनाव मैदान में भेजा है। इस कदम से संकेत मिलते हैं कि भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के लिए विकल्प खुले रखे हैं।

शिवराज सिंह ने पहली बार 1990 में बुधनी से विधानसभा चुनाव जीता था

शिवराज सिंह चौहान ने 1990 में बुधनी से विधानसभा चुनाव जीता था। हालांकि, भाजपा ने उन्हें 1991 में विदिशा लोकसभा सीट से उस वक्त मैदान में उतारा था, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ संसदीय सीट बरकरार रखने के लिए विदिशा से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा का एक प्रमुख ओबीसी चेहरा रहे शिवराज सिंह चौहान ने 2013 में कांग्रेस के महेंद्र सिंह चौहान को 84,000 से ज्यादा वोट्स के अंतर से हराया था। वहीं, 2018 में उनकी जीत का अंतर घटकर लगभग 59,000 मतों का रह गया था। उस वक्त कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को मैदान में उतारा था। वह भी ओबीसी नेता हैं।

कांग्रेस ने इस बार बुधनी में शिवराज सिंह के मुकाबले टीवी अभिनेता विक्रम मस्तल को मैदान में उतारा है, जिन्होंने एक लोकप्रिय सीरियल में हनुमान की भूमिका निभाई थी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस ने चौहान की तुलना में कमजोर उम्मीदवार को मैदान में उतारकर ‘मामा’ के लिए मुकाबले को आसान बना दिया है। समाजवादी पार्टी ने भी वैराग्यानंद गिरि उर्फ ‘मिर्ची बाबा’ को बुधनी से पार्टी का टिकट दिया है।

भाजपा ने शिवराज सिंह को सीएम फेस बनाने से किया परहेज

भाजपा ने इस बार शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री चेहरा बनाने से परहेज किया है। इसका संकेत 17 नवंबर को होने वाले चुनावों के लिए सात सांसदों और एक पार्टी महासचिव को मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले से मिल रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि विधानसभा चुनाव जीतने और राज्य में सरकार बनाने के बाद उनकी पार्टी का संसदीय बोर्ड इस पर निर्णय लेगा कि मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।

इससे पहले अगस्त में जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से पूछा गया था कि अगर चुनाव के बाद भाजपा सत्ता में बरकरार रहती है तो क्या शिवराज चौहान ही मुख्यमंत्री होंगे, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया था। अमित शाह ने कहा था कि आप पार्टी का काम क्यों कर रहे हैं? हमारी पार्टी अपना काम करेगी। आप मोदी जी और शिवराज जी के विकास कार्यों को जनता तक ले जाएं। यह भी बताएं कि क्या कांग्रेस ने कोई विकास कार्य किया है?’’

बुधनी के लोग शिवराज चौहान को परिवार का हिस्सा मानते- BJP

भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार और बुधनी के मूल निवासी राघवेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने पिछले दो दशक में शिवराज चौहान के सामने चुनौती पेश करने के लिए इस निर्वाचन क्षेत्र में शायद ही अपना जुझारू चेहरा प्रदर्शित किया हो। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में मतदाताओं के बीच पैठ बनाने के लिए कांग्रेस का कोई बड़ा आंदोलन नहीं देखा गया है। इतना ही नहीं यह स्थानीय स्तर पर राजनीतिक चेहरा विकसित करने में विफल रही है जो भाजपा के वरिष्ठ नेता चौहान का मुकाबला कर सके।

वहीं, प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और बुधनी निर्वाचन क्षेत्र के प्रभारी संतोष सिंह गौतम ने दावा किया कि उनकी पार्टी के विक्रम मस्तल को चुनाव मैदान में उतारने के कारण शिवराज मुश्किल स्थिति में आ गये हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उम्मीदवार एक ‘सेलिब्रिटी’ हैं और इस निर्वाचन क्षेत्र से हैं और लंबे समय से क्षेत्र में काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा कि बुधनी के लोग शिवराज चौहान को परिवार का हिस्सा मानते हैं। उन्होंने कहा कि जीत के अंतर में उतार-चढ़ाव विभिन्न कारणों पर निर्भर करता है लेकिन बुधनी विधानसभा क्षेत्र के मतदाता ‘मामा’ को ही पसंद करते हैं।