मध्य प्रदेश में कांग्रेस जहां एक ओर पन्द्रह साल बाद राज्य की सत्ता में वापसी के सपने देख रही है और उसके लिए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ-साथ सभी बड़े नेता जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं, वहीं पार्टी के अंदर गुटबाजी अभी भी खत्म नहीं हुई है। इसका आलम यह है कि अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के विवाद पर राहुल गांधी की मौजूदगी में ही पार्टी के दो दिग्गज नेता आपस में भिड़ गए। बुधवार (31 अक्टूबर) की रात कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और गुना से सांसद और चुनाव प्रचार कमेटी के प्रमुख ज्यातिरादित्य सिंधिया आपस में ही उलझ गए। मामला इतना बिगड़ा कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को दखल देनी पड़ी। मामले का निपटारा करने के लिए राहुल ने तीन सदस्यों की कमेटी बनाई है जिसमें अहमद पटेल, अशोक गहलोत और वीरप्पा मोइली को शामिल किया है।

दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि राज्य में सीएम शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के खिलाफ जबर्दस्त एंटी इनकमबेंसी फैक्टर है। किसानों से लेकर दलितों-आदिवासियों और युवाओं में आक्रोश है। इस वजह से कांग्रेस की जीत की संभावनाएं बढ़ गई हैं। लिहाजा, सभी नेता अपने-अपने समर्थकों और खास को विधान सभा चुनाव का टिकट दिलाना चाहते हैं ताकि उनकी जीत पक्की हो सके। इसी क्रम में कांग्रेस के दोनों आला नेता, जो अलग-अलग राजघराने से हैं और उनका अच्छा वर्चस्व है, आपस में भिड़ गए।

बता दें कि पिछले 15 सालों में कांग्रेस के सत्ता से दूर रहने की एक वजह पार्टी की गुटबाजी भी है। कहा जाता है कि एमपी कांग्रेस में तीन गुट हैं। इनमें एक गुट प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का है तो दूसरा पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का और तीसरा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का। पार्टी नेतृत्व ने बहुत कोशिश की कि इस बार गुटबाजी हावी न हो और सभी मिलजुलकर भाजपा को हराएं लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। कुछ दिनों पहले कमलनाथ और सिंधिया समर्थकों में सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री बनने को लेकर तकरार हुई थी। दोनों ही तरफ से ताबड़तोड़ कई पोस्टर जारी किए गए थे। बता दें कि राज्य में 28 नवंबर को चुनाव होने हैं। हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं की है।