मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को भाजपा ने विदिशा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। शिवराज सिंह चौहान को जमीन से जुड़ा हुआ नेता माना जाता है और वह चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अगर हम राजनीति में अनुभव की बात करें तो शिवराज सिंह का अनुभव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अधिक है।

शिवराज सिंह चौहान ने 1972 में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ज्वाइन कर लिया था और 1975 में मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। शिवराज चौहान ने आपातकाल में भी हिस्सा लिया और उन्हें आंतरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल में बंद कर दिया गया था। आपातकाल के बाद उनकी क्षमता को देखते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उन्हें भोपाल के संगठन सचिव की जिम्मेदारी दे दी।

1978 से 1980 तक शिवराज सिंह चौहान एबीवीपी मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव रहे। 1980 से 1982 तक शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश एबीवीपी के महासचिव चुने गए और उसके बाद 1982 से 1983 तक राष्ट्रीय मंत्री रहे। एबीवीपी के बाद शिवराज सिंह चौहान को भारतीय जनता युवा मोर्चा में भेजा गया और उन्हें मध्य प्रदेश का संयुक्त सचिव बनाया गया।

अटल बिहारी वाजपेई ने अपनी सीट से बनाया उम्मीदवार

इसके बाद शिवराज को चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी सौंप दी गई। 1990 में उन्हें बुधनी विधानसभा सीट से विधानसभा का प्रत्याशी बनाया गया। उन्होंने जीत दर्ज की। 1991 में लोकसभा चुनाव हुए और अटल बिहारी वाजपेई ने लखनऊ और विदिशा दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा। दोनों जगह से वह जीत गए। इसके बाद उन्होंने विदिशा सीट खाली कर दी लेकिन यहां से उन्होंने उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया। शिवराज सिंह चौहान सांसद बन गए।

4 बार रहे एमपी के मुख्यमंत्री

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान ने पहली बार 29 नवंबर 2005 को शपथ ली और 2008 तक वह मुख्यमंत्री रहे। दूसरी बार 12 दिसंबर 2008 को मुख्यमंत्री बने। तीसरी बार उन्होंने 14 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वहीं चौथी बार उन्होंने 2020 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मध्य प्रदेश में बड़ी जीत मिली लेकिन पार्टी ने मोहन यादव का नया मुख्यमंत्री बनाया।

शिवराज सिंह चौहान 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में विदिशा लोकसभा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। इसके बाद जब वह मुख्यमंत्री बने तो बुधनी से लगातार विधायक चुने गए।

पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं शिवराज

शिवराज सिंह चौहान की गिनती बीजेपी के बड़े ओबीसी नेताओं में होती है। शिवराज बीजेपी की पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं और 2019 में भारतीय जनता पार्टी सदस्यता अभियान के प्रमुख भी रह चुके हैं। उनके सदस्यता अभियान के प्रमुख रहते हुए बीजेपी के सदस्यों की संख्या 18 करोड़ से अधिक हो गई। 2018 में जब बीजेपी की मध्य प्रदेश में हार हुई, उसके बाद शिवराज को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी दी गई थी।

मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद शिवराज सिंह चौहान को अब बीजेपी ने विदिशा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी की सरकार बनती है, उसके बाद शिवराज सिंह चौहान को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। शिवराज को मध्य प्रदेश में ‘मामा’ कहकर बुलाते हैं।