Bjp Manifesto: लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर भाजपा ने सोमवार (8 अप्रैल) को ‘संकल्प पत्र’ के नाम से अपना घोषणापत्र जारी किया। इसमें भाजपा ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर देने के साथ आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेन्स’ की प्रतिबद्धता दोहराई है। साथ ही 60 साल की उम्र के बाद किसानों और छोटे दुकानदारों को पेंशन देने सहित कई एलान किए हैं। ये तो हुई 2019 चुनाव की बात। इसमें से कितने वादे पूरे होंगे, ये तो तब पता चलेगा जब भाजपा की केंद्र में सरकार बनती है। आज हम उन वादों की हकीकत जानते हैं जो पिछले चुनाव से पहले भाजपा ने किया था। मोदी सरकार अपने उन वादों को पूरा करने में कितना सफल रही?
वादा: क्षेत्र के भीतर और देश के बाकी हिस्सों के साथ संपर्क बढ़ाना। हकीकत: इस वादा को पूरा करने के लिए मोदी सरकार ने कई काम किए लेकिन सरकार पूरी तरह सफल नहीं हुई। यूं कहें तो मोदी सरकार ने अपने इस वादे को पूरा करने में आधी सफलता पायी है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए मंत्रालय ने क्षेत्र के भीतर और देश के बाकी हिस्सों से संपर्क बढ़ाने के लिए योजनाएं शुरू कीं। इसमें नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम, नॉर्थ ईस्ट रोड सेक्टर डेवलपमेंट स्कीम, नॉर्थ ईस्ट वेंचर फंड और नॉर्थ ईस्ट रीजन में साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंटरवेंशन जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन सबके अलावा, दिसंबर 2015 में नार्थ इस्ट क्षेत्रों का संपर्क पड़ोसी देशों से बढ़ाने के लिए द एक्ट ईस्ट पॉलिसी को लॉन्च किया गया।
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को पीपुल-पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल में विकसित करने का वादा। हकीकत- मोदी सरकार अपने इस वादे को पूरा करने में पूरी तरह असफल रही। किसानों, दलितों और आदिवासियों, छात्रों और कर्मचारियों से जुड़े कई समूहों ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आरोप लगाया है और कहा कि लोगों को राजनीतिक शक्ति में भागीदार नहीं बनाया गया है।
वादा: राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता सुनिश्चित करना। हकीकत- इस मामले में भी मोदी सरकार पूरी तरह फेल हो गई। पहले राज्य दो तरह की आय पर निर्भर रहते थे, एक उनका अपने द्वारा लागू टैक्स से प्राप्त आय और दूसरा केंद्र सरकार से मिले पैसे। जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास वस्तु और सेवा पर टैक्स लागू करने की स्वतंत्रता न के बराबर हो गई क्योंकि इसे जीएसटी काउंसिल द्वारा नियंत्रित किया जाने लगा। वहीं, बेहतर वित्तीय स्वायत्ता के लिए किसी तरह की नीति लागू नहीं की गई।
काला धन लाने का वादा। हकीकत- काला धन के मोर्चे पर भी मोदी सरकार पूरी तरह फेल हो गई। मोदी सरकार ने दावा किया था कि यदि वे काला धन विदेशों से ले आते हैं तो सभी गरीबों के खाते में 15-15 लाख रुपये जमा होंगे। न तो आज तक काला धन का पता चला और न हीं गरीबों के खाते में 15 लाख रुपये आए हैं। बाद में अमित शाह ने इस वादे ‘जुमला’ बताया था।
जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए विशेष अदालतें बनाने का वादा। हकीकत- आज तक जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए किसी विशेष अदालत का गठन नहीं किया गया।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का वादा। हकीकत- यह धारा अभी भी संविधान में है। अभी तक इसे हटाने को लेकर किसी तरह का काम नहीं हुआ। ऐसे कई सारे वादों की लंबी लिस्ट है, जो सिर्फ वादे बनकर ही रह गए। उन्हें पूरा नहीं किया।

