लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के एग्जिट पोल के नतीजे आते ही उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने अपने कैबिनेट के बागी मंत्री ओम प्रकाश राजभर को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सुहेलदेव भारतीय समाज वार्टी (SBSP) प्रमुख ओम प्रकाश राजभर चुनाव के दौरान ही गठबंधन से बगावत कर बैठे थे और लगातार बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे। SBSP प्रमुख का यूपी के पूर्वांचल में रहने वाली राजभर जाति में काफी अच्छी पैठ है। लेकिन, ओमप्रकाश राजभर के इस जातीय तिलिस्म को तोड़ने का भी बीजेपी ने इंतजाम कर लिया है। योगी सरकार ने राजभर जाति से संबंध रखने वाले बीजेपी नेता अनिल राजभर के कद को अपनी कैबिनेट में बढ़ा दिया है।
अनिल राजभर को योगी कैबिनेट में ओम प्रकाश राजभर वाला अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। बीजेपी अनिल को ओमप्रकाश के खिलाफ एक बेहतरीन विकल्प और उनकी जातीय राजनीति के काट के तौर पर देखती है। अभी तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट में अनिल राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार थे। गौरतलब है कि अनिल राजभर के पिता रामजीत राजभर भी बीजेपी विधायक रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पिछले दिनों गाजीपुर में हुई पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में अनिल राजभर को काफी तरजीह दी गई थी। पीएम नरेंद्र मोदी के मार्फत बीजेपी ने रैली में यह संदेश देने की कोशिश की कि पूर्वी यूपी में अनिल ही राजभर जातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं।
पूर्वांचल की करीब 10 सीटों पर राजभर जातियों का प्रभाव है। ऐसे में बीजेपी के लिए अनिल राजभर तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। अनिल राजभर का राजनीति से पुराना नाता रहा है। चंदौली के सकलडीहा पीजी कॉलेज से ही उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। 1994 में वह छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद वह जिला पंचायत सदस्य भी रहे। 2003 में उनके पिता रामजीत राजभर के दहांत के बाद हुए उपचुनाव में वह मैदान में उतरे, लेकिन 32,00 मतों से हार गए। हालांकि, इसके बाद से वह लगातार क्षेत्र में पसीना बहाते रहे और 2017 में उन्हें फतह नसीब हुई। अनिल राजभर योजना आयोग के सलाहकार भी रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें राज्य मंत्री दर्जा भी हासिल हुआ।