Loksabha Election 2019: कांग्रेस नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर घमासान जारी है। पंजाब सरकार में मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा कि अगर सिद्धू सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को नहीं मानते हैं तो उन्हें सरकार से अलग हो जाना चाहिए। वहीं, भाजपा ने भी उनके ऊपर तंज किया है। हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल विज ने कहा कि सिद्धू सभी पार्टियों से अपमानित नेता है। अब उन्हें पाकिस्तान जाकर इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ में शामिल हो जाना चाहिए।

न्यूज 18 के अनुसार, पंजाब की कांग्रेस सरकार में मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा, “सिद्धू कोई कॉमेडी शो नहीं कर रहे हैं कि जो मन में आया वो सार्वजनिक तौर पर बोलते रहें। जब उनकी पत्नी अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री थी, तब भी वे खुद को सरकार से ऊपर समझते थे। आज कांग्रेस में भी वे उसी तरह से बात कर रहे हैं। यदि राहुल गांधी ने सिद्धू को कांग्रेस में लाया है तो इसका ये मतलब नहीं कि उन्हें अपनी पार्टी और सरकार के खिलाफ ही बोलने का प्रमाणपत्र मिल गया है। अगर सिद्धू पंजाब में रहना चाहते हैं तो उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री मानना ही होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें पंजाब सरकार से अलग हो जाना चाहिए।”

दूसरी ओर अनिल विज ने ट्वीट कर कहा, “नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा और कांग्रेस सहित सभी पार्टियों में अपमानित हो चुके हैं। उनके पास अब सिर्फ एक ही विकल्प बचा है कि पाकिस्तान के प्रधामनंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ में शामिल हो जाएं।”

गौरतलब है कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनके कैबिनेट सहयोगी नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तनातनी एक बार फिर सामने आ गयी। अमरिंदर ने रविवार को सिद्धू पर चुनाव से ठीक पहले अपनी ‘‘गैरजिम्मेदाराना हरकत’’ से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। सिंह ने कहा कि उनके पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि सिद्धू शायद ‘‘महत्वाकांक्षी’’ है और वह ‘‘मुख्यमंत्री बनना चाहते है।’’ सिद्धू पर निशाना साधते हुए यहां मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यदि वह (सिद्धू) एक असली कांग्रेसी होते तो उन्हें पंजाब में मतदान से ठीक पहले के बजाय अपनी शिकायतों को उजागर करने के लिए बेहतर समय चुनना चाहिए था। वह इस तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकत से पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह उनका चुनाव नहीं बल्कि पूरी कांग्रेस का चुनाव है।’’

मुख्यमंत्री स्पष्ट रूप से 17 मई को बठिंडा में सिद्धू द्वारा की गई उस ‘‘विद्रोही’’ टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे जिसमें वह राज्य में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरते हुए दिखाई दिये थे और उन्होंने सवाल किया था कि 2015 में बेअदबी और पुलिस गोलीबारी की घटनाओं के सिलसिले में बादल परिवार के जिम्मेदार सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी क्यों नही दर्ज की गई। सिद्धू ने बठिंडा में कांग्रेस उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा के समर्थन में प्रचार करते हुए कहा था कि यदि 2015 की बेअदबी की घटनाओं के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो वह इस्तीफा दे देंगे। सिंह ने कहा कि सिद्धू के खिलाफ कार्रवाई का फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा, लेकिन एक पार्टी के तौर पर कांग्रेस अनुशासनहीनता को सहन नहीं करेगी। (एजेंसी इनपुट के साथ)