2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा ने गठजोड़ कर सीटों का बंटवारा कर लिया है। अब दावा किया जा रहा है कि इस गठबंधन को 2019 के चुनावों में राज्य के मुसलमान, यादव, अधिकांश दलित और पिछड़े वर्ग की कुछ जातियों के मतदाताओं का साथ मिल सकता है। हालांकि, 2014 के चुनावों में मुस्लिम, दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं के वोट में बिखराव हुआ था। इस वजह से राज्य की मुस्लिम बहुल 32 संसदीय सीटों में से 30 पर भाजपा की जीत हुई थी। दो पर सपा की जीत हुई थी। बता दें कि सपा और बसपा के लिए मुसलमान कोर वोटर रहे हैं।
तीन तलाक पर मोदी सरकार की मुहिम और सपा-बसपा गठजोड़ से उम्मीद जताई जा रही है कि अब राज्य में मुस्लिम वोटों का बिखराव रुकेगा और वह गठबंधन को एकमुश्त मिल सकता है। ऐसी सूरत में भाजपा को 2014 में जीती ऐसी सभी 30 सीटों पर हार का समाना करना पड़ सकता है। इसकी बानगी कैराना उप चुनाव में दिख चुकी है, जहां सपा-बसपा और रालोद के गठजोड़ से रालोद की तबस्सुम हसन ने जीत दर्ज की थी।
यूपी में करीब 19.5 फीसदी मुस्लिम आबादी है। राज्य के 32 संसदीय सीटों और करीब 125 विधान सभा सीटों पर इनका प्रभाव है। इनके वोट से वहां हार जीत तय होती है क्योंकि यहां मुस्लिम वोट 15 फीसदी से ज्यादा है। पश्चिमी यूपी की करीब दर्जन भर ऐसी संसदीय सीटें हैं जहां 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। पश्चिमी यूपी की मुस्लिम बहुल सीटों में सहारनपुर (39%), कैराना (39%), मुजफ्फरनगर (37%), मुरादाबाद (45%), बिजनौर (38%), अमरोहा (37%), रामपुर (49%), मेरठ (31%), संभल (46%), नगीना (42%) और बागपत (25%) शामिल हैं। 2014 में इन सभी सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। बाद में कैराना सीट उप चुनाव में रालोद के खाते में गई।
इनके अलावा करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर 15 से 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। इनमें गाजियाबाद, अलीगढ़, बहराइच, बरेली, श्रावस्ती, बदायूं, पीलीभीत, आजमगढ़, गोंडा, डुमरियागंज, वाराणसी प्रमुख संसदीय सीटे हैं। इनमें बदायूं और आजमगढ़ से ही समाजवादी पार्टी की जीत हुई, बाकी सभी सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। लिहाजा, बदले राजनीतिक समीकरण, गौहत्या, मॉब लिंचिंग, तीन तलाक और नागरिकता के मुद्दे पर विवाद के कारण भाजपा के खिलाफ मुस्लिमों में उपजे आक्रोश की वजह से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ सकता है।
इन कयासों को पिछले तीन उप चुनावों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। जब सपा-बसपा गठजोड़ के बाद उनका वोट प्रतिशत का आंकड़ा बढ़ा है। कैराना सीट पर 2014 में भाजपा को कुल 50.54% वोट मिले थे। सपा को 29.49%, बसपा को 14.33% और रालोद को 3.81 फीसदी वोट मिले थे लेकिन पिछले साल हुए उप चुनावों में जब सपा-बसपा और रालोद ने मिलकर चुनाव लड़ा तो गठबंधन को 51 फीसदी वोट मिले जबकि भाजपा को 46 फीसदी। इसी तरह गोरखपुर उप चुनावों में भी गठबंधन को 49 फीसदी तो भाजपा को 47 फीसदी और ओबीसी बहुल फुलपुर में गठबंधन को 47 फीसदी तो भाजपा को मात्र 39 फीसदी वोट मिले।