पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने राष्ट्रीय प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी को चुनाव मैदान में उतारा है। बलूनी अब तक राज्यसभा में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उन्हें पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का टिकट दिया गया। बलूनी के मुकाबले कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को टिकट दिया है।

पौड़ी गढ़वाल सीट का इतिहास उतार-चढ़ाव का रहा है। 1989 की मंदिर आंदोलन की लहर से पहले पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र पर कांग्रेस का कब्जा ही रहा। 1989 में इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार और हेमवती नंदन बहुगुणा के भांजे भारतीय थल सेवा के सेवानिवृत्ति लेफ्टिनेंट जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी ने कांग्रेस के उम्मीदवार सतपाल महाराज को हराया था।

इसी के साथ भाजपा ने उत्तराखंड में अपना राजनीतिक दखल दिया था। केवल दो बार भाजपा यहां से चुनाव हारी। उसके बाद लगातार लोकसभा चुनाव जीतती रही है। 1997 में सतपाल महाराज कांग्रेस (तिवारी) के टिकट पर जीते थे और केंद्र की देवगौड़ा और गुजराल सरकार में राज्य मंत्री रहे।

उसके बाद 1999 में सतपाल महाराज भाजपा के उम्मीदवार भुवन चंद्र खंडूड़ी से चुनाव हारे और तब से इस संसदीय क्षेत्र पर भाजपा का कब्जा ही चला आ रहा है। अभी इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सांसद हैं। वहीं, अस्सी के दशक तक यह संसदीय क्षेत्र राजनीति के दिग्गज हेमवती नंदन बहुगुणा की राजनीति का प्रमुख केंद्र था। उन्होंने इस सीट पर कभी भी भाजपा को कब्जा करने नहीं दिया।

हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे विजय बहुगुणा ने भी इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर अपनी किस्मत आजमाई थी, परंतु वे चुनाव हार गए थे। बाद में बहुगुणा ने अपने पिता की पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट पर चुनाव लड़ने की बजाय टिहरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर 2007 का उपचुनाव लड़ा था और जीत गए थे। उसके बाद उनके बेटे साकेत बहुगुणा ने टिहरी सीट पर दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, परंतु भाजपा की उम्मीदवार टिहरी की रानी राज्यलक्ष्मी शाह से चुनाव नहीं जीत सके। आज पूरा बहुगुणा परिवार भाजपा में है।

हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, जबकि हेमवती नंदन बहुगुणा के भांजे भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी ऋतु भूषण खंडूड़ी उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष हैं और हाल ही में उनके भाई मनीष खंडूड़ी भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं।