लोकसभा चुनाव लड़ने वाली महिला उम्मीदवारों की संख्या में 15 वर्ष में लगातार वृद्धि देखी गई है और यह संख्या 2009 में सात फीसद से बढ़कर 2024 में 9.6 फीसद हो गई है। चुनाव अधिकारों से संबंधित संस्था ‘एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स’ (एडीआर) के विश्लेषण में यह जानकारी सामने आई है।
एडीआर के विश्लेषण के अनुसार इस वर्ष 797 महिलाएं मैदान में हैं, जो कुल 8,337 उम्मीदवारों का 9.6 फीसद है। यह पिछले आम चुनावों की तुलना में वृद्धि को दर्शाता है। इसके अनुसार,2019 में नौ फीसद, 2014 में आठ फीसद और 2009 में सात फीसद महिला प्रतिनिधित्व दर्ज किया गया था। एडीआर के अनुसार 2009 के लोकसभा चुनाव में 556 महिला उम्मीदवार थीं, जो कुल 7,810 उम्मीदवारों का करीब सात फीसद थीं। वर्ष 2014 में यह संख्या बढ़कर 640 (8,205 का आठ फीसद) हो गई और 2019 में 716 (7,928 का नौ फीसद) हो गई।
इस वर्ष भाजपा प्रमुख दलों में सबसे आगे है, जिसके 440 लोकसभा उम्मीदवारों में से 69 महिला उम्मीदवार हैं, जो इसके कुल उम्मीदवारों का 16 फीसद है। कांग्रेस के 327 उम्मीदवारों में से 41 महिलाएं हैं, जो 13 फीसद है। छोटे दलों और क्षेत्रीय उम्मीदवारों में महिला उम्मीदवारों का अनुपात उल्लेखनीय रूप से अधिक है। लोजपा(र) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में 40 फीसद महिला उम्मीदवार हैं, जिनमें से पांच में से दो महिलाएं हैं।
एडीआर के अनुसार प्रमुख दलों में, अन्नाद्रमुक और आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सबसे कम यानी तीन-तीन फीसद है। इस वर्ष के चुनावों में उल्लेखनीय महिला प्रतिनिधित्व वाले कुछ दलों में झामुमो व बीजद शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 33 फीसद, राजद में 29 फीसद महिला उम्मीदवार हैं। सपा में 20 फीसद महिला प्रतिनिधित्व है, जबकि तृणमूल कांग्रेस में 25 फीसद महिला उम्मीदवार हैं।
माकपा के लोकसभा उम्मीदवारों में से 13 फीसद महिलाएं हैं और बसपा के लिए यह आंकड़ा आठ फीसद है। द्रमुक और भाकपा जैसी पार्टियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व क्रमश: 14 फीसद और सात फीसद है। जनता दल (एकी) और शिवसेना में 13-13 फीसद महिला उम्मीदवार हैं, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा में 33 फीसद महिला उम्मीदवार हैं।