भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को आगामी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने का मंत्र देते हुए कहा कि भूतकाल में जिन क्षेत्रों में हम नहीं पहुंचे सके या समाज के जिन व्यक्तियों तक हम नहीं पहुंचे हैं, यह चुनाव हर उस व्यक्ति तक पहुंचने का एक बड़ा माध्यम है।

बंसल ने बाबा साहब डाक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती पर रविवार को गोमती नगर के एक निजी विद्यालय में बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। सुनील बंसल ने रक्षा मंत्री और लखनऊ से भाजपा उम्मीदवार राजनाथ सिंह को चुनाव जिताने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को जनसंपर्क अभियान पर जोर देने की सलाह दी।

उत्तर प्रदेश में भाजपा के संगठन महामंत्री के रूप में अपने पुराने अनुभवों को साझा करते हुए बंसल ने कहा कि बड़े लंबे समय बाद कार्यकर्ताओं से मिलने का अवसर मिला है। बंसल ने वर्ष 2013 की स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि जब मैं पहली बार उत्तर प्रदेश आया तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुझे कुछ समझाया था, उस बात को मैं आप सबके साथ साझा करना चाहता हूं।

बंसल ने कहा कि एक वरिष्ठ नेता ने मुझे सलाह देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में संगठन का कार्य करने के लिए आए हो जितना संगठन के निचले स्तर पर जाओगे उतना भारतीय जनता पार्टी का संगठन समझ में आएगा और जब मैंने प्रवास करना शुरू किया तो मुझे समझ में आया कि संगठन के कार्यकर्ताओं की एक बहुत बड़ी ताकत है, जिसका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। फिर प्रयास शुरू हुए और आज संगठन की शक्ति सबके सामने है।

भाजपा महासचिव ने कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा कि भूतकाल में जिन क्षेत्रों में हम नहीं पहुंच सके हैं या समाज के जिन व्यक्तियों तक हम नहीं पहुंचे हैं, यह चुनाव हर उस व्यक्ति तक पहुंचने का भी एक बड़ा माध्यम है। हमारी योजना संरचना चुनाव में ऐसी होनी चाहिए कि हम उन तक भी पहुंच सके। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि आप सभी कर्मठ बूथ अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं के बल पर लखनऊ लोकसभा में प्रत्याशी राजनाथ सिंह जी को पांच लाख के अंतर से ऐतिहासिक जीत दिलाएंगे। प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज सिंह ने कहा कि सभी बूथ के कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी की असली ताकत हैं।

सत्तारूढ़ भाजपा विपक्ष की आवाज दबा रही है : ज्यां द्रेज

एजंसी: अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा है कि भारतीय लोकतंत्र वर्तमान में एक ऐसे संकट का सामना कर रहा है जो न केवल ‘निरंकुशता की हालिया लहर’ तक सीमित है, बल्कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा विपक्ष की आवाज भी दबाई जा रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में लोकसभा चुनाव ‘धांधली’ जैसा लग रहा है।

द्रेज ने कहा कि पांच साल पहले लेखिका अरुंधति राय ने 2019 के लोकसभा चुनाव को ‘फेरारी’ (कार) और कुछ साइकिल के बीच प्रतिस्पर्धा बताया था। यह बात वर्तमान में भी लागू होती है। आज, इसका श्रेय उच्चतम न्यायालय को जाता है कि हम जान पाए कि फेरारी में कारपोरेट क्षेत्र द्वारा र्इंधन भरा जा रहा है जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस की प्रतीक साइकिल को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया जा रहा है।

द्रेज की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भाजपा ने कहा कि वह लोकतांत्रिक तरीके से जनता का जनादेश प्राप्त कर रही है और यह कहना कि उसका शासन निरंकुश है, ‘पक्षपातपूर्ण और एकतरफा’ है। भाजपा के प्रदेश प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कहा कि केवल ऐसे राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है जो गलत कामों में शामिल थे जैसे कि झारखंड के (पूर्ववर्ती) मुख्यमंत्री (हेमंत) सोरेन। बेल्जियम में जन्मे अर्थशास्त्री द्रेज ने भारतीय नागरिकता ले ली है और चार दशकों से अधिक समय से देश में रह रहे हैं।

उन्होंने कहा कि झामुमो, राजद और कांग्रेस के नेताओं ने वर्षों से केंद्रीय एजंसियों द्वारा लगातार जांच और उत्पीड़न सहा है। रांची विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के ‘विजिटिंग प्रोफेसर’ द्रेज ने कहा कि साइकिल (विपक्षी दल) भले ही अच्छी स्थिति में न हों, लेकिन इस बार वे एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं। इससे बहुत फर्क पड़ सकता है। 2019 के अपवाद को छोड़कर, 2004 के बाद से सभी लोकसभा चुनावों में बड़े आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिले हैं।

उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल के नतीजे अक्सर गलत निकलते हैं। राज्य (झारखंड) में भाजपा के अधिकांश सीट जीतने की संभावना है, लेकिन उसे 2019 की तरह 14 में से 11 सीट नहीं मिल सकती। विकास अर्थशास्त्री ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में नई जान फूंकने के लिए एक ठोस प्रयास का भी प्रस्ताव किया। लोकतांत्रिक राजनीति की खामियों पर द्रेज ने कहा कि अभिव्यक्ति और असहमति की स्वतंत्रता जैसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हाल के प्रतिबंधों को निश्चित रूप से पलटा जा सकता है।