बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती एआइएमआइएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के कंधे पर बंदूक रख कर 18वीं लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश में फतह हासिल करने की कोशिश में हैं। 16वीं लोकसभा के चुनाव में शून्य पर आउट होने के बाद भी 39 लोकसभा सीटों पर द्वितीय श्रेणी में पास होने वालीं मायावती को लगता है कि 17वीं लोकसभा के चुनाव में जिस तरह उन्हें दस सीटों पर जीत हासिल कर पाने में कामयाबी हासिल हुई, उससे कुछ अधिक वे 18वीं लोकसभा के चुनाव में सीटों की शक्ल में पा सकती हैं।
17वीं लोकसभा चुनाव में बीएसपी का समाजवादी पार्टी से था गठबंधन
समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर 17वीं लोकसभा के चुनाव में मायावती को सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, लालगंज, घोसी और गाजीपुर सीटों पर जीत हासिल हुई थीं। जबकि 16वीं लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश में खाता न खुलने के बाद भी 39 सीटों पर बसपा के उम्मीदवारों ने दूसरा स्थान हासिल किया था।
पार्टी के वरिष्ठ नेता बोले- असदुद्दीन ओवैसी से संपर्क साधने में लगे हैं
16वीं और 17वीं लोकसभा के चुनाव में बसपा के इस प्रदर्शन ने बहनजी को इस बार अधिक आशावादी बना दिया है। बसपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि बहनजी को यह लगता है कि एआइएमआइएम के साथ गठबंधन कर वे इस लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश में अपने प्रदर्शन को पिछले चुनाव की तुलना में बहुत बेहतर कर सकती हैं। हालांकि मायावती ने 18वीं लोकसभा के चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावना से साफ इंकार कर दिया है। लेकिन बहुजन समाज पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से उन्होंने एआइएमआइएम के साथ गठबंधन करने पर उससे होने वाले सियासी लाभ का आकलन करने पर चर्चा की है।
सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की सियासत की माहिर खिलाड़ी मायावती को ये बात बखूबी मालूम है कि प्रदेश की 27 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान किसी भी राजनीतिक दल को पराजित करने की सियासी हैसियत रखता है। ऐसे में बसपा अपने पारंपरिक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं और मुसलमानों को साथ ले कर उत्तर प्रदेश में किसी बड़े सियासी उलटफेर की योजना बना रही हैं।
उत्तर प्रदेश को यदि जातिगत गणित को देखा जाय तो यहां दलित मतदाता 25 फीसद, ब्राह्मण दस फीसद, क्षत्रिय दस फीसद अन्य अगड़ी जातियां पांच फीसद और पिछड़ी जातियां 35 फीसद हैं। दो दशक से अधिक समय से उत्तर प्रदेश में जातियों को साध कर सियासत करने वाली बहुजन समाज पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में कुछ बड़ा हासिल करने का सपना पाले हैं। 2019 के लोकसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर के 16वीं लोकसभा के चुनाव में एक भी सीट के ना मिल पाने के रिपोर्ट कार्ड को सुधारते हुए दस सीटें हासिल कर बहुजन समाज पार्टी ने अपने डूबते जहाज को डूबने से बचा पाने में कामयाबी हासिल कर ली थी।
