Lok Sabha Elections: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों आकाश आनंद का नाम काफी चर्चित है। वह बहुजन समाज पार्टी (BSP) के राष्ट्रीय समन्वयक हैं और पार्टी की सुप्रीमो मायावती के भतीजे भी हैं। मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकारी कहे जा रहे आकाश आनंद बसपा के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में पहले नंबर पर दिखाई देते हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में आकाश आनंद ने मायावती, बसपा के संगठन और कई अन्य मुद्दों पर बातचीत की है। आकाश आनंद बसपा की कई सभाओं में पार्टी की नीतियों और उम्मीदवारों के चयन पर बात करते नजर आए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के सवाल और आकाश आनंद के जवाब

द इंडियन एक्सप्रेस ने आकाश आनंद से उनकी विदेश में पढ़ाई पूरी होने के बाद राजनीति की ओर आने के फैसले पर सवाल किया। जिसके जवाब में आकाश आनंद ने कहा–‘बहनजी हमेशा कहती थीं कि हमारे परिवार से किसी को भी राजनीति में नहीं आना चाहिए, जब मेरा ग्रेजुएशन पूरा हुआ तो मैंने फाइनेंस से जुड़े कुछ अन्य कोर्स किए और अपने बिजनेस में लग गया। मेरा राजनीति में आना कभी किसी प्लान का हिस्सा नहीं था।’

आकाश आनंद ने आगे कहा– ‘मेरे पिताजी (आनंद कुमार) लंबे समय तक बहनजी का सहयोग करते रहे। बहनजी ने कुछ और लोगों को भी आज़माया था जो पार्टी का जिम्मा संभाल सकते थे। उनका मत हमेशा मान्यवर कांशीराम साहब की यह नीति रही है कि परिवार के हाथ में पार्टी ना जाए। यह कोई वंशवादी पार्टी नहीं है, इसलिए मुझे लगता है कि जब बहनजी ने कुछ और लोगों को इस स्थिति में लाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली तो उन्हें वरिष्ठ सदस्यों ने सलाह दी कि अगर वह परिवार से किसी सदस्य को संरक्षक के रूप में ला सकती है जो कम से कम भविष्य के लिए पार्टी को स्थिर रख सके।”

आप भाषण के दौरान गुस्सा बड़ी जल्दी हो जाते हैं, ऐसा क्यों?

आकाश आनंद ने कहा,–‘आक्रामकता दिखाने या गुस्सा होने का मतलब व्यक्तिगत होना नहीं है। हम जिन लोगों और (दलित) समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जब उनके साथ अन्याय होता है और जब हम उनके मुद्दों पर बोलते हैं, तो ऐसा हो जाता है। उदाहरण के लिए ऐसे समझिए कि मुझे गुस्सा तब आता है जब सरकारें अपना काम नहीं करती। पेपर लीक होते हैं और अन्याय होता है।’

बसपा की लोकप्रियता 2014 के बाद से धीरे-धीरे खत्म हो रही है, क्या कहेंगे?

आकाश आनंद ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा–‘देश में सिर्फ बसपा ही नहीं तमाम विपक्षी दल कमजोर हुए हैं। चाहे कांग्रेस हो या कोई और राजनीतिक दल, सभी संघर्ष कर रहे हैं। सिर्फ बसपा के साथ ऐसा नहीं हो रहा है। कम से कम बीएसपी का कोर वोट बैक आज भी बरकरार है। हमने 2014 से लोकसभा चुनावों में अपना वोट शेयर बरकरार रखा है। हमें विश्वास है कि हमारा वोट शेयर बरकरार रहेगा। गैप आया है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि बहनजी संवादशील नहीं हैं और लोगों से नहीं मिलतीं। उनका शेड्यूल पूरे दिन पैक रहता है। मुझे भी उससे मिलने में वक्त लग जाता है. वह सभी से मिलती हैं।

बसपा ने इंडिया गठबंधन या एनडीए क्यों जॉइन नहीं किया?

आकाश आनंद ने कहा–‘हम उनके साथ गठबंधन नहीं करते हैं क्योंकि उनके पिछले ट्रैक रिकॉर्ड नौकरियों, विकास आदि जैसे मुद्दों पर बेहतर नहीं रहे हैं। चुनाव परिणामों के बाद,हम इस पर निर्णय लेंगे कि अगर ऐसी स्थिति पैदा होती है तो हम किसके साथ शामिल होंगे।

ऐसा लगता है कि बसपा का कुछ वोट बीजेपी की ओर शिफ्ट हुआ हुआ है, क्या कहेंगे?

ऐसा नहीं है कि बसपा का कोर वोटर बीजेपी में चला गया है, लेकिन मुझे लगता है कि बहुत से लोग नरेंद्र मोदी जी की करिश्माई नेतृत्व शैली की ओर आकर्षित हुए हैं। ऐसा 2014 में हुआ। जिस तरह से वह आए, वादा किया और बहुत सी चीजों पर प्रतिबद्धता जताई तो लोग उन्हें पसंद करने लगे।