Lok Sabha Elections 2019:देश और उत्तर प्रदेश की सबसे हॉट सीट वाराणसी में लगे बहुत सारे होर्डिंग्स और पोस्टरों में बीजेपी का चुनावी नारा बदला हुआ है। यहां लगे बहुत सारे होर्डिंग्स और पोस्टरों में “फिर एक बार, मोदी सरकार” का नारा अब कम लिखा मिल रहा है। इसमें “मोदी” की जगह “भाजपा” लिखा है। यानि, “फिर एक बार, भाजपा सरकार”। इसकी वजह है नरेंद्र मोदी का यहां से उम्मीदवार होना और चुनाव कानून के एक प्रावधान का फायदा उठाना। दरअसल, अगर होर्डिंग्स में मोदी का नाम आएगा तो सारा खर्च उम्मीदवार (नरेंद्र मोदी) के खाते में जुड़ जाएगा और चुनावी खर्च की सीमा में रह पाना मुश्किल होगा। तय सीमा से ज्यादा खर्च करने पर उम्मीदवारी या चुनाव निरस्त होने का प्रावधान है। होर्डिंग में “भाजपा सरकार” लिखने से खर्च पार्टी के खाते में जाएगा और पार्टी के खर्च पर अंकुश नहीं है।
क्या कहते हैं नियम: एक प्रत्याशी लोकसभा चुनाव लड़ने पर 50 से 70 लाख रुपये की रकम खर्च कर सकता है। अरुणाचल प्रदेश, गोवा और सिक्किम को छोड़कर बाकी सभी राज्यों की लिमिट 70 लाख रुपये की है। अरुणाचल प्रदेश, गोवा और सिक्किम की लिमिट 54 लाख रुपये है। वहीं, दिल्ली के लिए 70 लाख तो बाकी केंद्र शासित राज्यों के लिए 54 लाख की खर्च सीमा है। इसमें राजनीतिक दल या समर्थक द्वारा प्रत्याशी के कैंपेन पर खर्च की गई रकम भी शामिल है। हालांकि, पार्टी या पार्टी के नेता द्वारा पार्टी के कार्यक्रमों के प्रचार के लिए खर्च इसमें शामिल नहीं है।
चुनाव आयोग यह चाहता है कि पार्टी द्वारा अपने प्रत्याशी पर खर्च की गई रकम कैंडिडेट की खर्च सीमा के 50 फीसदी से ज्यादा न हो। कमिशन ने इसके लिए जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव का भी सुझाव दिया था। अगर सरकार यह सुझाव मान लेती तो पार्टियां लोकसभा चुनाव में अपने हर कैंडिडेट पर 25 से 35 लाख रुपये से ज्यादा की रकम नहीं खर्च कर पाती। हालांकि, बीजेपी इस लिमिट के लगाने के खिलाफ रही है। उसका तर्क है कि राजनीतिक पार्टियों का कैंपेन एजेंडे पर आधारित होता है और अगर उसमें खर्च की सीमा तय की गई तो जाति और निजी प्रभाव वाली राजनीति को बढ़ावा मिलेगा।
मोदी के खिलाफ कौन-कौन उम्मीदवार: मोदी के खिलाफ कांग्रेस ने अजय राय को उम्मीदवार बनाया है। अजय राय 2014 में भी मोदी के खिलाफ खड़े हुए थे, लेकिन उन्हें कड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। वहीं, महागठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी ने शालिनी यादव को मैदान में उतारा है। शालिनी से पहले सपा ने बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को कैंडिडेट घोषित किया था। हालांकि, हलफनामे में गड़बड़ी के आधार पर चुनाव आयोग ने उनका नामांकन खारिज कर दिया था।
नरेंद्र मोदी नामांकन भरने के मौके पर बनारस गए थे। तभी उन्होंने रोड शो और सभा को संबोधित किया था। अब चर्चा है कि मतदान वाले दिन, 19 मई को, वह वहां जा सकते हैं। इससे पहले प्रियंका गांधी वाड्रा के रोड शो का कार्यक्रम है। कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय और सपा (गठबंधन) प्रत्याशी शालिनी यादव लगातार प्रचार कर रहे हैं। उधर, बीजेपी कार्यकर्ता मान रहे हैं कि उन्हें जीत का अंतर ज्यादा से ज्यादा करने के लिए काम करना है। इसके लिए आरएसएस के कार्यकर्ता भी लगे हुए हैं।