Jaunpur Lok Sabha Chunav Result 2024: पूर्वांचल के महत्वपूर्ण शहरों में से एक जौनपुर में बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर चली। इस टक्कर में जहां पहले भाजपा के कृपाशंकर सिंह आगे चल रहे थे वहीं बाद में सपा के बाबू सिंह कुशवाहा आगे चलने लगे। अंत में दिन के अंत तक सपा आगे रही और 99335 वोटों से जीत गई। तो बीजेपी के कृपाशंकर सिंह को 409795 वोट मिले।

जौनपुर संसदीय क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र बादलपुर, शाहगंज, जौनपुर, मल्हानी और मुंगरा बादशाहपुर आते हैं। 2011 के जनगणना के मुताबिक जौनपुर की कुल आबादी 44,94,204 है। यहां 1952 में हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव के समय से ही चुनाव हो रहा है। यहां के पहले सांसद बीरबल सिंह थे।

पार्टीप्रत्याशीकौन आगे
बीजेपीकृपाशंकर सिंह409795
सपाबाबू सिंह कुशवाहा509130 (+ 99335)
बसपा  श्याम सिंह यादव157137

जातीय लिहाज से देखें तो जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अधिक है। 2019 में इस सीट पर करीब 2,43,810 ब्राह्मण मतदाता थे। इसके बाद सबसे ज्यादा 2,31,970 अनुसूचित जाति के मतदाता थे। यहां मुस्लिम मतदाता 2,21,254 थे। इसके अलावा 1,91,184 राजपूत मतदाता थे।

2009 के लोकसभा चुनाव में यहां से बहुजन समाज पार्टी के धनंजय सिंह ने समाजवादी पार्टी के पारसनाथ को पराजित किया था। यहां काफी समय से बीएसपी, एसपी और बीजेपी के उम्मीदवार जीत रहे हैं, लेकिन कांग्रेस को 1984 के बाद से यहां से एक बार भी जीत नहीं मिली है। 1989 में बीजेपी के राजा यघुवेंद्र दत्ता ने यहां से जीत हासिल की थी। 1991 में जनता दल उम्मीदवार को यहां सफलता मिली थी, लेकिन बीजेपी ने 1996 में फिर यहां से जीत हासिल कर ली।

2019 में क्या रही जौनपुर लोकसभा क्षेत्र की स्थिति

प्रत्याशीपार्टीवोट
श्याम सिंह यादवबीएसपी5,21,128
कृष्ण प्रताप सिंह ‘केपी’बीजेपी4,40,192
देवव्रत मिश्रा कांग्रेस27,185

अगले चार चुनावों में दो बार बीजेपी और दो बार समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की। 2009 में यह सिलसिला बीएसपी ने तोड़ी। हालांकि 2014 में फिर बीजेपी के खाते में यह सीट चली गई। 2019 में यहां से बीएसपी को जीत मिली।

2014 में क्या रही जौनपुर लोकसभा क्षेत्र की स्थिति

प्रत्याशीपार्टीवोट
कृष्ण प्रताप सिंह ‘केपी’बीजेपी3,67,149
सुभाष पांडेयबीएसपी2,20,839
पारसनाथ यादवसमाजवादी पार्टी1,80,003

1963 के चुनाव में जनसंघ सांसद ब्रह्मजीत सिंह के निधन के बाद जब उप चुनाव हुआ तो पार्टी ने यहां से पंडित दीनदयाल उपाध्याय को मैदान में उतारा, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी राजदेव सिंह ने उनको पराजित कर दिया।