Parul Kulshrestha
भाजपा ने शनिवार को लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की। राजस्थान से घोषित पार्टी के 15 उम्मीदवारों में कोटा से ओम बिड़ला, नागौर से ज्योति मिर्धा और बांसवाड़ा से महेंद्रजीत सिंह मालवीय शामिल हैं। ज्योति मिर्धा पिछले साल विधानसभा चुनाव हार गई थीं। महेंद्रजीत सिंह हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे।
हालांकि जातिगत समीकरण और क्षेत्रीय नेता इस साल चुनावों में भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। खासकर तीन सीट (नागौर, करौली-धौलपुर और बांसवाड़ा) पर बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल सकती है। राजस्थान में 25 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से चार सीटें एससी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। जबकि तीन सीटें एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। राजस्थान एनडीए सरकार के गढ़ों में से एक रहा है। बीजेपी ने 2019 और 2014 के चुनावों में क्रमशः 25 और 24 सीटें जीती हैं।
नागौर सीट का समीकरण
नागौर जाट बहुल सीट है और आरएलपी के मौजूदा सांसद हनुमान बेनीवाल समुदाय के सबसे बड़े नेता और युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं। ऐसे में बीजेपी को इस सीट पर काफी मेहनत करनी पड़ सकती है। नाम न छापने की शर्त पर एक बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा, “नागौर में जातिगत समीकरण एक समस्या है। नागौर लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें 70 फीसदी आबादी जाटों की है। यहां से आने वाले जाटों को टिकट देने की मांग हमेशा उठती रहती है। राज्य के अन्य हिस्सों के जाट उम्मीदवारों को कभी भी प्राथमिकता नहीं दी जाती। हालांकि बीजेपी के पास नागौर से कोई नेता नहीं होने के कारण उन्होंने ज्योति मिर्धा को टिकट दिया। ज्योति मिर्धा की इलाके में मजबूत पकड़ है, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है। इसके अलावा युवाओं के बीच प्रभाव रखने वाले हनुमान बेनीवाल उन्हें चुनौती दे सकते हैं क्योंकि युवा अभी भी चुनावों में निर्णायक हैं।”
2019 में भाजपा ने हनुमान बेनीवाल का समर्थन करने के लिए नागौर से किसी को भी (तब भाजपा और आरएलपी सहयोगी थे) टिकट नहीं दिया लेकिन इस साल चीजें अलग हैं। विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी सिर्फ एक सीट ही जीत पाई थी। हनुमान बेनीवाल ने यह साफ नहीं किया है कि इस साल चुनाव में वह किसका समर्थन करेंगे।
करौली-धौलपुर पर मुश्किल में बीजेपी
करौली-धौलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 2, कांग्रेस ने 5 और बीएसपी ने 1 सीट जीती थी। ज्यादातर गैर-बीजेपी नेता भारी अंतर से जीते। जमीनी स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं के मुताबिक स्थानीय नेताओं की मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है।
एक बीजेपी कार्यकर्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि 8 विधानसभा सीटों पर लगभग 3 लाख जाटव हैं, जो हिंदुआन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव का समर्थन कर रहे हैं। इसी तरह यहां माली जाति का अच्छा प्रभाव है जो धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह के पक्ष में है। एक भाजपा नेता ने कहा, “वैश्य समुदाय हमेशा से बीजेपी का बड़ा वोट बैंक रहा है, लेकिन राजाखेड़ा से कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा की उन पर मजबूत पकड़ है। इसके अलावा वर्तमान भाजपा सांसद मनोज राजोरिया पिछले 4 वर्षों से लोकसभा सीट पर सक्रिय नहीं हैं। अगर इस बार उन्हें टिकट दिया गया तो सत्ता विरोधी लहर नतीजे पर असर डाल सकती है। हम जानते हैं कि राजस्थान की अधिकांश सीटों पर एकतरफा जीत है, लेकिन यहां नहीं।”
बीजेपी के एक अन्य सूत्र ने कहा कि पिछले साल सीएम चुनाव के दौरान शर्मिंदगी का सामना करने के बाद पूर्व सीएम वसुंधरा राजे इस सीट पर बीजेपी की जीत को रोकने के लिए चुनाव में तोड़फोड़ कर सकती हैं। वसुंधरा राजे 1985 में धौलपुर से विधायक चुनी गई थीं और अभी भी धौलपुर महल में रहती हैं।
राजस्थान बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बताया कि पार्टी इन सीटों के लिए पहले ही रणनीति बना चुकी है। उन्होंने कहा, “पिछली बार नागौर आरएलपी के साथ गठबंधन की सीट थी, लेकिन इस साल हमारी रणनीति अलग हो सकती है क्योंकि बेनीवाल अब हमारे साथ नहीं हैं। करौली-धौलपुर जैसी उन सीटों के लिए योजना पहले ही बनाई जा चुकी है, जो 2019 के चुनाव में हमने 1 लाख के अंतर से जीती थीं। ये सीटें थोड़ी पेचीदा हैं लेकिन हमारी कोशिशें भी कम नहीं हैं।”
बांसवाड़ा में BAP देगी टक्कर
बांसवाड़ा के समीकरण के बारे में पूछे जाने पर पूनिया ने कहा कि भारतीय ट्राइबल पार्टी या भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) आमतौर पर कांग्रेस के वोट बैंक पर असर डालती है क्योंकि बीजेपी को आदिवासी और गैर-आदिवासी वोटों का समर्थन मिलता है. पूनिया ने कहा, “हमारे मतदाता अभी भी बरकरार हैं और गैर-आदिवासी वोटों के साथ हमें हमेशा बढ़त मिलेगी।”
बांसवाड़ा सीट पर कांग्रेस के साथ-साथ भारतीय ट्राइबल पार्टी (BAP) का भी प्रभाव है। कांग्रेस से विधायक और क्षेत्र के प्रभावशाली नेता रहे महेंद्र जीत सिंह मालवीय के हाल ही में भाजपा में शामिल होने से यह उम्मीद की जा रही है कि वह पार्टी को जीत दिलाने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “बीजेपी के लिए यहां राह आसान नहीं होगी क्योंकि बीएपी और कांग्रेस अपने स्थानीय चेहरों के साथ चुनाव पर असर डाल सकते हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं को बीएपी के प्रभाव के बारे में चेतावनी दी गई है। खासकर उनके नेता राजकुमार रोत, चोरासी से विधायक हैं और जमीन पर काम कर रहे हैं। हमारी रणनीति अपने पारंपरिक वोट बैंक को सुरक्षित करने की है और इसमें मालवीय जैसे नेता मददगार होंगे।”
