लोकसभा चुनाव में आधी आबादी का वोट भी मायने रखता है, महिलाओं का दिल जीतने के लिए सभी पार्टियां अपने सियासी पिटारे से कई वादें निकालती हैं। इसके ऊपर सभी चाहते हैं कि राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़े, सभी चाहते हैं कि उन्हें भी ज्यादा से ज्यादा आगे आने का मौका मिले। लेकिन राजनीति में करनी और कथनी में अंतर होना आम बात है। एक बार फिर वादों से उलट वैसी ही स्थिति 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिल गई है।
The Quantum Hub ने चुनाव के दो चरणों को लेकर विस्तृत विश्लेषण किया है। उस विश्लेषण से पता चलता है कि कुल उम्मीदवारों में महिला प्रत्याशियों की संख्या काफी कम है। सभी पार्टियों ने भरोसा जरूर दिया था कि स्थिति बदलेगी, ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को टिकट दिया जाएगा, लेकिन ऐसा होता दिखा नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि दो चरणों के लिए चुनावी मैदान में कुल 2831 उम्मीदवार खड़े हैं, वहां पर महिला उम्मीदवारों की संख्या सिर्फ 237 है, यानी कि 8.3%।
अब हैरानी की बात ये है कि ये 237 महिला उम्मीदवार भी मैदान में दिखाई दे रहे हैं, वहां पर राष्ट्रीय पार्टियों का शेयर ना के बराबर है। बीजेपी, कांग्रेस जैसी पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों पर ज्यादा भरोसा नहीं जताया है। इससे उलट जिन पार्टियों की ज्यादा चर्चा नहीं होती है, जिन पार्टियों का ज्यादा जनाधार नहीं माना जाता है, मीडिया से भी जो दूर ही दिखाई देती हैं, उनकी तरफ से ज्यादा महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया है। इन्हें गैर मान्यता वाली पार्टियां कहा जा सकता है जिन्हें ना राष्ट्रीय दल का तमगा प्राप्त है और ना ही क्षेत्रीय दलों का। अब ये बात भी दो चरणों के आंकड़ों से समझ आ जाती है।

असल में जो 237 महिला उम्मीदवार दिखाई दे रही हैं, वहां पर 92 महिला प्रत्याशी तो इन गैर मान्यता पार्टी द्वारा ही उतारे गए हैं। इसके बाद 87 महिला प्रत्याशी ऐसी हैं जो निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरी हैं। क्षेत्रीय दलों की बात करें तो उनकी तरफ से सिर्फ 12 महिला कैंडिडेट्स को मौका दिया गया है और राष्ट्रीय पार्टियों के लिए ये आंकड़ा 46 बैठ रहा है। अब हर कोई ये जानना चाहता है कि बीजेपी-कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों ने कितने महिला उम्मीदवारों को पहले दो चरणों में उतारा है।
पहले दो चरणों में बीजेपी की तरफ से 15 फीसदी महिला उम्मीदवारों को मौका दिया गया है, दूसरे नंबर पर लेफ्ट है जिसने 13 फीसदी महिला प्रत्याशियों को उतारा है। तीसरे नंबर पर देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस है जिसने 10 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। सबसे आखिर में मायावती की बसपा है जिसने 7 फीसदी महिला उम्मीदवारों को उतारा है। यानी कि बात जब बड़ी पार्टियों की आती है तो महिला उम्मीदवारों को उतारने के मामले में बीजेपी सबसे आगे है।

अब अगर पूरे देश में सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार उतारने वाली सीट की बात करें, यहां पर दक्षिण का राज्य तमिलाडु सबसे आगे चल रहा है। तमिलनाडु की करूर सीट ऐसी है जहां पर 7 महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरी हुई हैं, वहां पर एक राष्ट्रीय पार्टी से है तो बाकी सभी निर्दलीय ही अपनी किस्मत आजमा रही हैं। करूर के बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक की बेंगलुरू नॉर्थ सीट भी आती है जहां से 6 महिला उम्मीदवार एक दूसरे को टक्कर दे रही हैं। महाराष्ट्र के अमरावति में भी वही स्थिति बनी हुई है।
अगर कुछ दूसरे राज्यों की बात करें तो राजस्थान के भरतपुर में भी कुल 6 प्रत्याशियों में से 3 महिला हैं, वहीं केरल के वडकरा और अलाथुर में 40 फीसदी महिला उम्मीदवार दिखे हैं। एक काफी दिलचस्प तथ्य केरल की ही वडकरा सीट को लेकर सामने आया है। यहां से जो 4 महिला प्रत्याशी मैदान में उतरी हुई हैं, उन सभी का एक ही नाम है, बस स्पेलिंग थोड़ी अलग है। यहां से लेफ्ट ने राज्य की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री KK Shailaja को उतार रखा है। दूसरे प्रत्याशियों के नाम Sylaja P, Shylaja और KK Shylaja हैं।