सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 अप्रैल) को 2002 गुजरात दंगों को लेकर अहम फैसला सुनाया। इस दौरान कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश दिया कि दंगे के दौरान गैंगरेप पीड़िता बिल्किस बानो को 50 लाख रुपए मुआवजा, सरकारी नौकरी और एक घर दिया जाए। इसके बाद बिल्किस बानो ने दाहोद जिले के देवगढ़ बारिया में एक मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला। बताया जा रहा है कि बिल्किस ने 2002 के गुजरात दंगों के 17 साल बाद पहली बार मतदान किया। इस दौरान बिल्किस ने कहा, ‘‘मुझे देश की लोकतांत्रिक प्रणाली पर भरोसा है। मैं अपने पति और 4 साल की बेटी के साथ वोट डालने आई हूं।’’ बता दें कि लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत मंगलवार को गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ था।

 

कौन हैं बिल्किस बानो: बता दें कि साल 2002 में गोधरा कांड के बाद उग्र लोगों ने अहमदाबाद के पास रणधीकपुर गांव में बिल्किस बानो के परिवार पर हमला कर दिया था। बिल्किस उस समय गर्भवती थी। इसके बावजूद उग्र भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने उनके साथ गैंगरेप किया और उनके परिवार के कई लोगों की हत्या कर दी थी। इस घटना में उनकी दो साल की बच्ची, मां और चचेरे भाई की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को मुआवजा देने का आदेश जारी किया। कोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को यह कार्रवाई करने के लिए 2 सप्ताह का वक्त दिया गया है।

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बिल्किस के पति ने कही यह बात: दंगों की पीड़िता बिल्किस के पति याकूब पटेल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो भी फैसला दिया है, वह अच्छा है। हम राज्य सरकार के पांच लाख के मुआवजे को लेने से इनकार कर चुके हैं, लेकिन अदालत के आदेश से हम खुश हैं।

दर्जनों बार बदला घर: 2002 दंगों के बाद न्याय के लिए चली लंबी लड़ाई के बाद बिल्किस बानो ने कहा कि मेरे परिवार वालों को लगातार धमकियां मिलती रहीं। हमने दो साल में दर्जनों बार अपना घर बदला। इसके चलते बिल्किस के परिवार वालों ने सुप्रीम कोर्ट से अपना केस गुजरात से बाहर किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट करने की गुहार भी लगाई थी।