लोकसभा चुनाव से पहले एग्जिट पोल के सर्वे में एनडीए को एक बार फिर से सत्ता में वापसी करता दिख रहा है। इसके बावजूद विपक्ष दलों ने एक्जिट पोल पर भरोसा न जताते हुए चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहा है। इसके बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री साझा विपक्षी एकता को दर्शाने में जुट गए हैं।
तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्र बाबू नायडू चाहते हैं कि 23 मई को चुनाव परिणाम की घोषणा से पहले राष्ट्रपति को विपक्षी दलों के एकजुटता दिखाई जाए। नायडू साझा विपक्षी एकता के सबूत में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को ज्ञापन देना चाहते हैं। वहीं मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी नायडू के इस विचार से असमहत दिखाई दे रही हैं।
नायडू त्रिशंकु संसद की स्थिति में कांग्रेस व भाजपा को छोड़ कर अन्य दलों की भूमिका को बहुत मत्वपूर्ण मान रहे हैं। विपक्षी दलों का अनुमान है कि भाजपा की 200 सीटें आने की स्थिति में उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी। नायडू ने विपक्षी दलों को कहा है कि यदि राष्ट्रपति को चुनाव परिणाम से पहले विपक्षी एकता नहीं दिखाई गई तो भाजपा और उसके चुनाव पूर्व सहयोगी दलों को सरकार गठन के लिए पहले आमंत्रण मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
एक विपक्षी दल के नेता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘नायडू का गणित कहता है कि भाजपा को 200 से कम सीटें मिलेंगी और यदि ऐसा होता है तो एनडीए और विपक्षी दलों के बीच अधिक अंतर नहीं होना चाहिए। ऐसी सूरत में यदि राष्ट्रपति को एलओआई नहीं दिया जाएगा तो एनडीए के खिलाफ बिखरे विपक्ष का कोई मतलब ही नहीं होगा।’
सरकारिया आयोग की रिपोर्ट के अनुसार यदि कई दलों में से वरीयता के क्रम में एक नेता चुन लिया जाता है तो चुनाव से पहले बनी पार्टियों के गठबंधन को पहले सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। नायडू इस क्रम में अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती और सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी से रविवार को दिल्ली में मुलाकात कर चुके हैं। हालांकि, वाम दलों ने नायडू के इस पहल में शामिल होने के प्रति इच्छुक नहीं है।