Lok Sabha Election 2019: चुनावी माहौल में भड़काऊ भाषण देने को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती पर नकेल नहीं कसी जा सकी है। सोमवार (15 अप्रैल, 2019) को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर नाराजगी जताई और इन दोनों नेताओं पर कार्रवाई न किए जाने को लेकर चुनाव आयोग (ईसी) को तलब किया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने ईसी के प्रतिनिधियों से मंगलवार (16 अप्रैल, 2019) से पहले हाजिर होने के लिए कहा है।
दरअसल, कोर्ट इस मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। उसमें नेताओं द्वारा जाति और धर्म को आधार बना कर घृणा फैलाने वाली टिप्पणियों पर राजनीतिक दलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई गई थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, “यह चुनावी पैनल की जिम्मेदारी है और वह ऐसे मसलों पर आंखों बंद कर के नहीं बैठ सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट इसी के साथ ईसी की शक्तियों पर विचार करने पर भी राजी हो गया है। इससे पहले, उसे बताया गया था कि ईसी के पास बेहद सीमित शक्तियां होती हैं और वह सिर्फ नोटिस जारी कर सकता है, सलाह दे सकता और आदर्श आचार संहिता का उलंल्घन करने पर पार्टियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है।
ईसी ने कोर्ट के समक्ष कहा था, “हमारे पास इससे अधिक शक्तियां नहीं है। हम लोगों को अयोग्य नहीं घोषित कर सकते हैं।” वहीं, कोर्ट ने इस पर कहा था- आपको इस तरह के बयान आने पर कार्रवाई करनी चाहिए। आपने ऐसे भड़काऊ भाषणों के खिलाफ कुछ भी नहीं किया है।
बता दें कि चुनावी माहौल में आचार संहिता के उल्लंघन पर ईसी के ढीले रवैये को लेकर उसकी आलोचना हो चुकी है। खासकर सीएम योगी के ‘मोदी की सेना’ वाले बयान के बाद, जिसमें उन्होंने भारतीय सेना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सेना करार दिया था। ईसी ने इस पर सिर्फ कहा था, “भविष्य में आप इस बाबत सावधान और सतर्क रहें।”