पंजाब के मलेरकोटला क्लब के पास सब्जियों के होलसेल विक्रेता अब्दुल राबिद एक चाय की दुकान पर अपने दोस्तों के साथ जिरह कर रहे हैं, “मोदी को मुसलमानों की जरूरत नहीं है और मुसलमान को उनकी नहीं।” राबिद को अपने काम से अवकाश मिला था और जब भी उनके पास काफी समय होता है वह चुनाव और राजनीति की बातों में मशगूल रहते हैं। राबिद कहते हैं, “वह (मोदी) हिंदू राष्ट्र के बारे में कहते, मानों हम कहीं बाहर से आए हुए हैं।” उनके कुछ दूरी पर बैठे मोहम्मद अंसारी ने भी बातचीत में दिलचस्पी दिखाई। अंसारी ने कहा, “वह खुद तो बिन बुलाए पाकिस्तान बिरयानी खाने चले गए और बाद में देश भक्ति की बातें करने लगे। सबसे पहले तो उन्हें यह बताना चाहिए कि पुलवामा में आरडीएक्स कैसा पहुंचा। अब वह वोट के लिए पाकिस्तान से बदला और सर्जिकल स्ट्राइक की बातें कर रहे हैं। हम उन्हें अच्छे से जानते हैं, लिहाजा हमें मुर्ख नहीं बनाया जा सकता।”
बातचीत के दौरान अंसारी ने एक कप और चाय ऑर्डर की और उर्दू अखबार को देखते हुए कहा, “मोदी ने नोटबंदी के जरिए हमें परेशान किया। हालांकि, नोटबंदी से पहले भी इस क्षेत्र में मोदी को लेकर ज्यादा रूझान नहीं था। आज की तारीख में मोदी के बारे में बात नहीं करने के लिए हमारे पास अनेकों कारण हैं।” चाय की दुकान से ठीक सटे हुए एक वैष्णव ढाबे पर मोहम्मद खालिद अपने सहयोगी मोहम्मद इमरान के साथ आलू के पराठे सेंक रहे थे। ढाबे पर भी चुनावी चर्चे का महौल था। खालिद कहते हैं, “मोदी, अमित शाह सोचते हैं कि हम देशभक्त नहीं हैं। हम तो देश के वफादार हैं, मर के भी मिट्टी में दफन हो जाते हैं। वो जलते हैं। अस्थियां गंगा में डालते हैं। मालूम नहीं कहां जाता है, पाकिस्तान या कहीं और।” खालिद की बातों को आगे बढ़ाते हुए इमरान कहते हैं, “वो (बीजेपी) हमें नोटबंदी के दौरान खिलाफ मानते हैं। क्या मोदी कभी लाइन में लगे? हमारा बिजनस 5 साल पीछे चला गया।”
मलेरकोटला में तकरीबन 1.60 लाख आबादी है, जिनमें 1 लाख मुसलमानों की है। इस क्षेत्र में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के कई पोस्टर हैं, लेकिन इनमें मोदी और अमित शाह के फोटोग्राफ देखने को नहीं मिलते। मुस्लिम आबादी का चुनाव का प्रभाव किस कदर है, इसका अंदाजा अकाली प्रत्याशी ढींढसा के दो अलग-अलग बयानों से लगाया जा सकता है। धूरी में ढींढसा ने कहा, “हमें देश का प्रधानमंत्री चुनना है, इसलिए हमें मोदी जो को दोबारा मौका देना चाहिए।” लेकिन शुक्रवार (3 मई) को जब वह मलेरकोटला में बोल रहे थे, तब उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि AAP और कांग्रेस दोनों मिलकर आपको गुमराह कर रहे हैं कि ढींढसा को वोट देने का मतलब है मोदी को वोट देना। लेकिन, आपको सोचना चाहिए कि अकाली दल ने कैसे मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा की है। मेरे पिता सुखदेव सिंह ढींढसा जब संगरूर के सांसद थे, तब हर कोई उनसे मिल सकता था। आपको ऐसे व्यक्ति को चुनना है जो संसद में आपके अधिकारों के बारे में बात करे और आपकी भलाई सोचे। जब मैं पंजाब का पीडब्ल्यूडी मंत्री था तब मैंने लुधियाना-मलेरकोटला ब्रिज का निर्माण कराया था।”
संगरूर से AAP उम्मीदवार भगवंत मान कहते हैं, “जब वे मलेरकोटला की बात करते हैं तब वे अपने बारे में करते हैं। जब वे धूरी (मलेरकोटला के आगे) की बात करते हैं, तब वह मोदी की बात करते हैं। यह दोगली नीति क्यों? मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वे मोदी और अमित शाह का एक भी पोस्टर मलेरकोटला में लगाकर दिखाएं। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वो मलेरकोटला में मौदी की रैली आयोजित करके दिखाएं। अरविंद केजरीवाल भी उसी दिन प्रचार करेंगे।”