Lok Sabha Election 2019: बंगाल और बिहार की सीमा पर बसा कटिहार संसदीय क्षेत्र सीमांचल का अंग है। यह इलाका अतिपिछड़ा माना जाता है। 1957 से यहां पंद्रह बार सांसद का चुनाव हो चुका है जिनमें से पांच बार तारिक अनवर ने चुनाव जीता है। उनके अलावा कांग्रेस, भाजपा और जनता दल के प्रत्याशी भी चुनाव जीत चुके हैं मगर इलाके का वैसा विकास नहीं हुआ जैसा होना चाहिए था।

कटिहार में मखाना की खेती की काफी संभावना है पर सरकारी उदासीनता आड़े आती रही है। किसानों ने यहां इसके लिए छोटे-छोटे तलाब बना रखे हैं। केलाबाड़ी के किसान रामसुख महतो ने बताया कि सरकारी मदद मिले तो यह धंधा और पनप सकता है। दरअसल, यहां अबतक हुए चुनावों में विकास कभी मुद्दा नहीं बना। सांप्रदायिकता ही यहां का चुनावी मुद्दा बना रहा। इसकी वजह यहां की 39 फीसदी मुस्लिम आबादी है। इनके अलावा 35 फीसदी पिछड़ा-अतिपिछड़ा मतदाता हैं।

कटिहार से तारिक अनवर साल 1980, 1984, 1996, 1998 में कांग्रेस के टिकट पर और 2014 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की घड़ी छाप पर चुनाव जीते। 1967 में यहां से कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सीताराम केसरी चुनाव जीते थे। 1999 से 2009 तक भाजपा के निखिल चौधरी तीन बार सांसद बने। मसलन बीते 32 सालों तक यह सीट तारिक अनवर और निखिल चौधरी के इर्दगिर्द ही रही।

एनडीए में सीट बंटवारे के बाद कटिहार जदयू के खाते में गई है। जदयू ने दुलाल चंद्र गोस्वामी को अपना तीर देकर मैदान में उतारा है। बीते चुनाव की तुलना में इस बार यहां समीकरण बदले-बदले हैं। भाजपा-जदयू-लोजपा एक साथ है तो सामने महगठबंधन है जिसके उम्मीदवार तारिक अनवर हैं। अनवर एनसीपी छोड़ इस बार कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं।

इलाके में इनका अपना दबदबा भी है। उधर, भाजपा उम्मीदवार नहीं होने से कार्यकर्ताओं में मायूसी भी है। भाजपा के एमएलसी अशोक अग्रवाल ने तो बगावत कर पर्चा ही दाखिल कर दिया था। बाद में काफी मान मनौव्वल के बाद अग्रवाल ने नाम वापस ले लिया। हालांकि, भितरघात का खतरा बरकरार है।

तारिक अनवर कद्दावर नेता हैं। 1999 में इन्होंने सोनिया गांधी को विदेशी मूल का बता कर कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस बार 2018 में राफेल पर एनसीपी नेता शरद पवार के मोदी सरकार के समर्थन में आए एक बयान से भड़ककर इन्होंने एनसीपी छोड़ दी और फिर पलटी मारते हुए कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी में पर्चा दाखिल करने के बाद बुधवार (10 अप्रैल) को सीधे कटिहार आए। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा। कटिहार में रेलवे स्टेशन पर मुसाफिरों के लिए जरूरी सुविधाएं अभी भी इंतजार कर रही हैं, जबकि शहर में नेशनल फिशरीज ट्रेनिंग सेंटर है। यहां 100 करोड़ की लागत से बना आम्रपाली ग्रुप का फूड प्रोसेसिंग यूनिट भी है। निजी चिकित्सा महाविद्यालय है।

रिटायर बैंक कर्मचारी एनजुल हक बताते हैं कि ये तारिक अनवर की देन है मगर गांवों की हालत बहुत खराब है। कई इलाकों में लोग जान जोखिम में डाल चचरी (बांस) पुल और नाव के सहारे नदी पार कर आते-जाते हैं। इस संसदीय सीट के तहत कुल छह विधानसभा आते हैं। कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी और बरारी।

इनमें से दो सीट पर भाजपा, दो पर कांग्रेस, एक पर राजद और एक पर सीपीआई (एमएल) का कब्जा है। यहां के 16 लाख 45 हजार 713 मतदाता 18 अप्रैल यानी दूसरे चरण में अपना वोट डालेंगे। वैसे तो यहां आठ उम्मीदवार मैदान में है पर मुख्य मुकाबला महागठबंधन के तारिक अनवर और राजग के दुलाल चंद्र गोस्वामी के बीच है।