विपक्ष आरोप लगा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले का राजनीतिकरण की कोशिश कर रही है। विपक्ष के मुताबिक, चुनावों में राजनीतिक फायदा लेने के लिए मोदी और बीजेपी नेता बार-बार पुलवामा आतंकी हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक का जिक्र कर रही है। हालांकि, जिस पुलवामा पर चुनावी राजनीति इतनी गर्म है, वहीं की जनता वोटिंग को लेकर उदासीन दिखी। आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के गांव से किसी ने भी सोमवार को वोट नहीं डाला। वहीं, पुलवामा के आत्मघाती हमलावर के गांव में महज 15 लोगों ने वोट डाला।

अधिकारियों के मुताबिक, घाटी में आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र दक्षिण कश्मीर में अन्य टॉप आतंकवादी कमांडरों के गांवों में भी जीरो वोटिंग हुई। त्राल क्षेत्र में वानी के शरीफाबाद गांव ने मतदान प्रक्रिया से दूरी बनाने का फैसला किया और गांव से एक भी शख्स ने वोट नहीं डाला। वहीं, गुंडीबाग में महज 15 वोट डाले गए। यह गांव उस वक्त अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया था जब यहां के रहने वाले जैश ए मोहम्मद आतंकी आदिल डार ने पुलवामा में विस्फोटकों से लदी एक कार को सीआरपीएफ के काफिले के वाहन से टकरा दी थी । इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे।14 फरवरी की इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया था।

अधिकारियों का कहना है कि आतंकवादी संगठन अंसार-गजावत-उल-हिंद के स्वयंभू प्रमुख जाकिर मुसा के गांव नूराबाद, हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू के गांव बेघपुरा और 14 फरवरी के आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड मुदासिर खान के गांव शेखपुरा में भी जीरो वोटिंग हुई। 2016 में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में वानी के मारे जाने के बाद घाटी में लंबे समय तक अशांति रही थी जिसमें 100 लोगों की जान गई थी।

अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले शोपियां और पुलवामा जिलों में चुनाव के दिन सड़के सूनी रहीं और जगह जगह सुरक्षाबलों की मौजूदगी नजर आई। ये दोनों ही क्षेत्र आतंकवादियों की पकड़ में माने जाते हैं। इस सीट पर महज तीन फीसदी वोटिंग हुई। 25 पर्सेंट से अधिक मतदान केंद्रों पर कोई वोटिंग ही नहीं हुई।

(भाषा इनपुट्स के साथ)