Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल बज चुका है। उत्तर प्रदेश में पहले चरण के तहत 11 अप्रैल को 8 सीटों के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे सपा-बसपा और आरएलडी के कार्यकर्ता, वोटरों को अपनी पार्टी के सिंबल के प्रति जागरूक कर रहें हैं ताकि उनका वोटर तीन-तीन पार्टियों के सिंबल (झंडे) को देखकर भ्रमित ना हो। मुजफ्फरनगर में तीनों पार्टियों के संयुक्त गठबंधन कार्यालय में सपा के नेता महिलाओं के समूह को गठबंधन उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के बारे समझा रहे हैं। बता दें कि इस चुनाव से पहले तीनों ही दलों ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन 2019 के चुनाव में तीनों पार्टियों के बीच गठबंधन हो गया है ऐसे में एक सीट पर अब तीनो पार्टियों में से एक का ही उम्मीदवार मैदान में खड़ा है। इसलिए पार्टी का वोटर भ्रमित ना हो इसके लिए तीनों ही पार्टियां मतदाताओं को सचेत कर रही हैं क्योंकि माना जाता है कि सपा और बसपा का अधिकांश वोटर पार्टी सिंबल को देखकर ही वोट करता है।

मुजफ्फरनगर में सपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष इसरार अल्वी ने अपने भाषण में कहा, “कृपया याद रखें, यहां के उम्मीदवार आरएलडी के अजीत सिंह हैं। उन्हें वोट देने के लिए आपको हैंडपंप बटन (RLD का सिंबल) दबाना होगा। इस तरह सोचो, हैंडपंप पानी देता है और वह पानी बीजेपी को धो देगा। कोई हाथी (बीएसपी का सिंबल) या चक्र (सपा का सिंबल) नहीं होगा। कृपया याद रखें।” गौरतलब है कि 11 अप्रैल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों में मतदान से तीन दिन पहले गठबंधन कार्यकर्ता मुख्य रूप से गांवों में अपने उम्मीदवारों को अलग-अलग दलों से पहचान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। सूत्रों मुताबिक बसपा, सपा और आरएलडी कार्यकर्ताओं की टीमों को चुनाव चिन्ह की दुविधा से निपटने का काम सौंपा गया है।

National Hindi News, 9 April 2019 LIVE Updates: दिन भर की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

माना जाता है कि सपा, बसपा और आरएलडी का अपना एक तय वोटबैंक है, जो केवल पार्टी सिंबल को जानते हैं। लेकिन इस बार के चुनाव में उन्हें उन पार्टियों के लिए वोट करना है जो दशकों से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इस दौरान चांदपुर गांव में कश्यप समुदाय की महिलाओं ने बताया कि गठबंधन प्रत्याशी ने मुझे साइकिल के सिंबल के बटन दबाने को कहा कि लेकिन जब मैंने अपनी बहन से बात की तो उन्हीं लोगों ने उसे हैंडपंप के सिंबल पर वोट कहने की बात कही। इसी तरह मुजफ्फरनगर के ही पुरबालियां गांव से गठबंधन के चुनाव कार्यक्रम स्थल तक जाने वाली बस में एक स्थानीय बसपा कार्यकर्ता ने दलित महिलाओं के एक समूह से कहा, “मुझे पता है कि आपको केवल हाथी के बटन दबाने के लिए कहा गया है। लेकिन इस बार ईवीएम पर केवल हाथी, हैंडपंप नहीं होगा। इस चुनाव के लिए याद रखें हैंडपंप का मतलब हाथी है।

बता दें कि बसपा सुप्रीमों मायावती ने रविवार को अपने भाषण में भी इसका जिक्र करते हुए कहा था कि यूपी में सपा, बसपा और आरएलडी का गठबंधन है। उन्होंने कहा कि आपके प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में अलग-अलग उम्मीदवार हैं। अपने निर्वाचन क्षेत्र में हाथी, साइकिल या हैंडपंप उम्मीदवार की पहचान करें और सही उम्मीदवार को जिताएं।

गौरतलब है कि कैराना में ये समस्या और भी विकट है, जहां 2018 का उपचुनाव जीतने के बाद गठबंधन ने पहली बार सफलता का स्वाद चखा। तब तबस्सुम हसन ने आरएलडी के टिकट पर चुनाव जीता था लेकिन एक साल बाद ही वो अब कैराना से ही सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। तबस्सुम हसन के चुनाव प्रचार अधिकारी आरएलडी जिला प्रमुख योगेंद्र सिंह ने कहा, ‘पिछले साल भी लोगों को हैंडपंप का बटन दबाने के लिए मनाने में काफी मेहनत लगी थी। अब हमारा काम और बढ़ गया है क्योंकि हमें उन्हीं मतदाताओं को अब साइकिल का बटन दबाने के लिए राजी करना है। इस बार यह आसान है क्योंकि उम्मीदवार की तस्वीर ईवीएम पर है।”

कैराना लोकसभा क्षेत्र के कुडाना गांव में रहने वाली इंदू ने कहा कि उसने हमेशा हाथी के सिंबल को ही चुना है। लेकिन जब उसके पड़ोसी ने उसे बताया कि उसे इस बार सपा की तबस्सुम हसन को वोट देना है तो उसने जवाब दिया, साइकिल? मुझे साइकिल चुनना होगा? लेकिन उन्होंने हमेशा बहनजी (मायावती) को ही चुना है, मैं हाथी ही खोजूंगी। अगर कोई हाथी नहीं है, तो मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं?

Read here the latest Lok Sabha Election 2019 News, Live coverage and full election schedule for India General Election 2019