Lok Sabha Election 2019: गुजरात के जूनागढ़ में वोटरों में कांग्रेस के साथ ही भाजपा को लेकर भी नाराजगी है। जूनागढ़ सीट को लेकर भाजपा भी काफी चिंतित है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार यह उन महत्वपूर्ण सीटों में शामिल है जहां भाजपा को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। स्थानीय निवासी 60 वर्षीय ऑटो ड्राइवर हुसैन अंसारी का कहना है कि यदि भारतीय जनता पार्टी को यहां जीतना है तो उन्हें भावनाएं भड़काने से कही अधिक काफी कुछ करने की जरूरत है।
जूनागढ़ को अक्सर ऐसे क्षेत्र के रूप में बताया जाता है स्वतंत्रता के दौरान पाकिस्तान में मिलने की कगार पर था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 अप्रैल के भाषण का जिक्र करने पर अंसारी ने कहा, ‘वोटरों को बरगलाने के लिए सब लोग कहते हैं कि जूनागढ़ वह क्षेत्र है जो आजादी के समय पाकिस्तान में मिलने वाला था। कई साल पहले जूनागढ़ के लोगों ने भारत के साथ रहने का फैसला किया था।
इसके बाद लोग क्यों नवाब की भूमिका की चर्चा करते हैं( अधिकतर लोगों के हिंदू होने के बावजूद उसने पाकिस्तान के साथ मिलने का फैसला किया था)। ‘ पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि जूनागढ़ के भारत के साथ रहने में पटेल की भूमिका को कौन भूल सकता है। पीएम ने कहा था कि यदि सरदार पटेल नहीं होते तो जूनागढ़ कहा होता?
अंसारी ने कहा, ‘आज जूनागढ़ नगर निगम 2014 से भाजपा के अंतर्गत ही है और आप देख है इसकी हालत कितनी बुरी है।’ अंसारी सिर्फ अकेले ही नहीं है। एक अन्य ड्राइवर कनू सोलंकी ने कहा, ‘यहां भाजपा और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला है। दोनों ही दलों ने अपने किए गए वादों को पूरा नहीं किया है।’ साल 2017 में कांग्रेस को वोट देने वाले तलाला के आम किसान महेश पटेल कहते हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग किसको वोट देते हैं लेकिन नेता अपने वादों को भूल जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा में क्या अंतर है।
भाजपा सांसद और कांग्रेस विधायक के बीच मुकाबलाः इस बार यहां भाजपा सांसद राजेश चुड़ासमा का मुकाबला कांग्रेस विधायक पुंजा वंश से है। साल 2014 में भाजपा उम्मीदवार राजेश का मुकाबला पुंजा वंश से था। उस समय भाजपा उम्मीदवार ने 1.3 लाख मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यहां बेहतर प्रदर्शन करते हुए इस लोकसभा में पड़ने वाली सभी छह विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।
