Lok Sabha Election 2019: गुजरात की हाईप्रोफाइल सीट गांधी नगर से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चुनाव मैदान में हैं। पार्टी ने वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के बदले शाह को यहां से मैदान में उतारने का फैसला लिया है।

आडवाणी का टिकट कटने और शाह को यहां से लड़ाने के फैसले पर कई लोगों को हैरानी जरूर हुई। भाजपा के स्थानीय नेतृत्व का कहना है कि विधानसभा चुनाव में औसत प्रदर्शन के बाद अमित शाह के यहां से मैदान में उतरने से पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश और उत्साह भरेगा।

इससे पार्टी के राज्य की सभी 26 सीटों को जीतने की संभावना और मजबूत होगी। कांग्रेस की तरफ से यहां से गांधीनगर (नॉर्थ) के विधायक सीजे चावड़ा को उतारे जाने की उम्मीद है।

गांधीनगर से ही शुरू हुआ शाह का संसदीय कॅरिअर: शाह ने 1997 सरखेज विधानसभा सीट से ही अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। उस समय यह सीट गांधीनगर का ही हिस्सा थी।

सरखेज से विधायक के रूप में ही शाह ने चुनावी रणनीति का अपना कौशल दिखाना शुरु किया था। आडवाणी के प्रमुख चुनावी रणनीतिकार के रूप में शाह यह अपने विधानसभी सीट से अधिकतकम बढ़त सुनिश्चित करते थे जिससे कि अन्य सीटों पर वोटों की कमी को पूरा किया जा सके।

हमेशा हाईप्रोफाइल रही है यह सीट: भाजपा का 1989 से ही इस सीट पर कब्जा रहा है। 1989 में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके बाद 1991-1996 में आडवाणी और एक बार 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट का प्रतिनिधत्व कर चुके हैं।

1998 से आडवाणी पांच पर लगातार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। आडवाणी, वाजपेयी और शाह के अलावा कई अन्य हाईप्रोफाइल उम्मीदवार भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।

इनमें पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन(1999), राजनीतिक विज्ञानी पुरुषोत्तम मावलंकर (1977) , विट्ठल पांड्या (2004) और गुजरात के पूर्व गृहमंत्री हरेन पंड्या शामिल हैं।

गुजरात भाजपा प्रवक्ता भारत पंड्या का कहना है कि गांधीनगर वीआईपी सीट है। अमित भाई के यहां से चुनाव लड़ने से हमारे कैडर में नया जोश भर जाएगा। वहीं कांग्रेस गांधीनगर सीट को लेकर भाजपा पर आक्रामक रुख अपनाए हुए है।

पार्टी का कहना है कि भाजपा हमेशा यहां से हाईप्रोफाइल उम्मीदवार उतारती रही हैं लेकिन यहां विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है। गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोषी कहते हैं कि यहां की करीब 35 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रही है। यहां लोगों को अभी भी किफायती शिक्षा, स्वास्थ्य व पेयजल उपलब्ध नहीं है।

अब भी विकास की आस: भाजपा भले ही यहां अहमदाबाद-गांधीनगर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट, जीआईएफटी फाइनेंशियल हब व अन्य विकास के काम गिनवाए लेकिन यहां उवरसाड़ गांव के किसान जगजी ठाकोर का कहना है कि वे और विकास कर सकते थे।

हमारे गांव में सीवेज लाइन नहीं है। अभी हमारे गांव का कचरा पास के ही तालाब में गिरता है। मुझे उम्मीद है कि वे लोग इस दिशा में भी कुछ करेंगे। लाइव मिंट में प्रकाशित इंडिकस एनालिटिक्स की साल 2014 की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात के गांधीनगर में राजकोट, अहमदाबाद, सूरत, मेहसाणा से अधिक (करीब 12.59 फीसदी) लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे थे।

गरीबी का यह निर्धारण तेंडुलकर समिति की 2011-12 की गरीबी रेखा पर आधारित थी। जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक गरीबी थी वहां शैक्षणिक संस्थानों की संख्या सबसे कम थी। साथ ही इन इलाकों में एससी/एसटी आबादी अधिक है।

गुजरात सरकार ने साल 2018 में विधानसभा में पेश एक रिपोर्ट में कहा था कि राज्य में 31.46 करोड़ गरीब परिवार है। यदि एक परिवार में पांच सदस्य माना जाए तो यह संख्या 1.5 करोड़ के आसपास पहुंचती हैं। सरकार ने बताया था कि प्रदेश मे पिछले दो साल में करीब 19 हजार गरीब परिवार बढ़े हैं।

गांधीनगर के तहत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इसमें गांधीनगर (नॉर्थ), कलोल, साणंद, घटलोडिया, वेजलपुर, नारनपुरा और साबरमती शामिल है। गांधी नगर और कलोल को छोड़कर साल 2015 में पांच सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीते थे। इस लोकसभा क्षेत्र में 19.20 लाख मतदाता है। यहां तीसरे चरण में 23 अप्रैल को वोट डाला जाएगा।