Lok Sabha Election 2019: कांग्रेस ने पहले चुनावी घोषणा पत्र जारी करने में न केवल बाजी मार ली बल्कि चुनावी वादों से मीडिया में लगातार सुर्खियां भी बटोर रही है। इधर जब पहले चरण के चुनाव होने में जब एक हफ्ते से भी कम समय रह गया है तब केंद्र की सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार (04 अप्रैल) को आनन फानन में इमरजेंसी मीटिंग बुलाई।
आलम यह रहा कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को तेलंगाना में प्रस्तावित दो चुनावी रैलियों को रद्द करना पड़ा। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी के आला नेताओं ने चुनावी घोषणा पत्र को अंतिम रूप देने के लिए और उस पर विचार विमर्श के लिए इमरजेंसी मीटिंग की है। बता दें कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में गरीबों, बेरोजगारों, युवाओं, किसानों को लुभाने का वादा किया है।
कांग्रेस की सबसे बड़ी घोषणा न्याय है जिसके तहत कांग्रेस सरकार बनने पर हरेक गरीब को सालाना 72 हजार रुपये सीधे उसके खाते में डालेगी। भाजपा के एक शीर्ष नेता ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तेलंगाना में पूर्व निर्धारित दो रैलियों के रद्द किए जाने की जानकारी दी। ये दोनों रैलियां करीम नगर और वारंगल में होनी थी।
पार्टी के महासचिव पी. मुरलीधर राव ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और अन्य नेताओं ने बृहस्पतिवार को सुबह इमरजेंसी मीटिंग की। इस बैठक में पार्टी के घोषणापत्र और अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।
इससे पहले कांग्रेस का घोषणापत्र आने के बाद अब लोगों की निगाहें भाजपा के घोषणापत्र पर लगी हुई हैं। हालांकि, कांग्रेस ने भाजपा से पहले घोषणा पत्र जारी कर भाजपा पर इस दिशा में शुरुआती बढ़त बना ली है। कांग्रेस की घोषणा पत्र पर पूरे देश के साथ ही भाजपा भी चर्चा कर रही है। यह बात अलग है कि पार्टी इसमें नकारात्मक पहलुओं को उभार रही है।
मालूम हो कि भाजपा ने साल 2014 में नौ चरणों में होने वाले चुनाव के पहले दिन 7 अप्रैल को घोषणा पत्र जारी किया था। इससे पहले साल 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहले चरण के चुनाव के महज एक दिन पहले ही 8 दिसंबर को अपना घोषणा पत्र जारी किया था।