Narendra Modi Cabinet Ministers List of India 2019 Amit Shah: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को मौजूदा राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। शाह को मोदी सरकार में गृह मंत्री बनाया गया है। पिछली सरकार में राजनाथ सिंह को गृह मंत्रालय की कमान सौंपी गई थी। उन्हें चुनाव जिताऊ राजनेता के तौर पर भी प्रसिद्धि मिली है। इसके पीछे उनका आंकड़ों के साथ खेलने की राजनीतिक शक्ति और कौशल है। 1990 के दौरान जब गुजरात में राजनीतिक उथल-पुथल का दौर था, तब उन्होंने तत्कालीन गुजरात भाजपा संगठन सचिव नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में पूरे गुजरात में पार्टी के प्राथमिक सदस्यों का न केवल आंकड़ा जुटाया था बल्कि उसका दस्तावेजीकरण भी कराया था। इस प्रयास से भाजपा की ग्रामीण स्तर तक पहुंच और उनका चुनावी रण में इस्तेमाल करने में बड़ी कामयाबी मिली। इसके बाद गुजरात में जो भी चुनाव हुए भाजपा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
शाह की इस कोशिश से पार्टी को राजनैतिक मजबूती तो मिली ही कार्यकर्ताओं में भी जोश भर गया। हालांकि, उसकी तात्कालिक विजय अल्पकालीन सिद्ध हुई, 1995 में सत्ता में आने वाली भाजपा सरकार 1997 में गिर गई लेकिन इस दौरान अमित शाह ने गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष के तौर पर बड़ी कामयाबी हासिल कराई और निगम को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करवा दिया। इसके बाद अमित शाह ने गुजरात में सहकारी आंदोलन पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ को भी तोड़ दिया और आंकड़ों की कलाबाजी के जरिए उनतक पैठ बनाई। भाजपा ने सहकारी बैंकों, दूध डेयरियों और कृषि मंडी समितियों के चुनाव जीतने शुरु किए। इससे गांव-गांव तक भाजपा की पहुंच हो गई।
अमित शाह की पॉलिटिकल एंट्री 1983 में एबीवीपी से हुई। तीन साल बाद 1986 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया और अगले ही साल भाजपा युवा मोर्चा के सदस्य बन गए और धीरे-धीरे भाजपा के बड़े नेताओं के करीब आने लगे। 1989 में लोकसभा चुनावों में उन्हें लालकृष्ण आडवाणी का चुनाव प्रबंधन का जिम्मा सौंपा गया। आडवाणी गांधीनगर से चुनाव लड़ रहे थे। इसके बाद 2009 तक अमित शाह आडवाणी के लिए गांधीनगर में चुनावी प्रबंधन का जिम्मा संभालते रहे। जब वाजपेयी जी ने गांधीनगर से चुनाव लड़ा था, तब भी शाह ने ही चुनावी मैनेजमेंट का कार्यभार संभाला था।
विशुद्ध शाकाहारी और धुम्रपान नहीं करने वाले अमित शाह ने पहला चुनाव 1997 में लड़ा। उन्होंने गुजरात के सरखेज विधान सभा सीट पर उप चुनाव में जीत दर्ज की। इसके बाद 1998, 2002, 2007 तक वो सरखेज से विधायक चुने जाते रहे। 2012 में उन्होंने नरनपुरा से चुनाव लड़ा और वहां से भी जीत दर्ज की। 2013 में उन्होंने केंद्रीय राजनीति में कदम रखा। वो भाजपा के महासचिव बनाए गए। उन्होंने देश भर का दौरा किया और सभी जगह की राजनीतिक स्थितियों का आंकलन किया। जल्द ही उन्होंने 2014 के लोकसभा के लिए चुनावी रणनीति बनाई और क्षेत्रीय स्तर पर छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन किया।
इसमें खासतौर पर पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के नेताओं को उन्होंने अपने साथ लाया और भाजपा को ब्राह्मण और बनियों की पार्टी के दायरे से बाहर लाने की कोशिश की। इसका असर 2014 में तब दिखा, जब नरेंद्र मोदी ने भी अपनी प्रतिभा दिखाई। 2019 के चुनावों में भी उन्होंने न केवल भाजपा को 11 करोड़ कार्यकर्ताओं की पार्टी बनाया बल्कि मोदी सरकार की योजनाओं (उज्ज्वला, शौचालय, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति, पीएम आवास, हेल्थ कार्ड, कृषि बीमा, किसान सम्मान निधि) से लाभान्वित हुए करोड़ों लोगों का डेटा जुटा उसे वोट बैंक में बदलने की पुरजोर सार्थक कोशिश की।
कहा जाता है कि अमित शाह ने नौ साल की उम्र में ही कौटिल्य का अर्थशास्त्र का अध्ययन कर लिया था। उन्हें चाणक्य नीति भी पसंद है। शायद यही वजह है कि उनके ड्राइंग हॉल में चाणक्य की तस्वीर दीवार पर टंगी है। राजनीतिक संधियों को पढ़ने में भी उन्हें बड़ा मजा आता है। कहा जाता है कि शाह दोस्तों और विरोधियों दोनों को याद करते हैं और पार्टी के अधिकांश कार्यकर्ताओं को नाम से जानता हैं। वह अधिक से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं से घुल मिल सकें, इसके लिए वह जब भी दिल्ली में होते हैं तब पार्टी दफ्तर में लंबा वक्त बिताते हैं।