2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की मालदा उत्तर लोकसभा सीट पर भाई-बहन के बीच का राजनीतिक मुकाबला काफी रोचक होने वाला है। बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट से कांग्रेस की वर्तमान सांसद मौसम बेनजीर नूर को अपना उम्मीदवार बनाया है। मौसम ने पिछले महीने ही तृणमूल का दमन थामा था। अब कांग्रेस ने ईशा खान चौधरी को इस सीट से चुनावी मैदान में उतार कर मुकाबले को रोचक बना दिया है। रिश्ते में दोनों भाई-बहन हैं लेकिन राजनीतिक जंग में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। ऐसे में क्या परिवार की लड़ाई का फायदा कोई तीसरा (बीजेपी) उठा सकता है?
अहम है पारिवारिक पृष्ठभूमिः उत्तर बंगाल के मालदा ज़िले में कांग्रेस की राजनीति अभी भी दिवंगत पूर्व रेलमंत्री एबीए गनी खान चौधरी के नाम के ईर्द-गिर्द ही घुमती है। गनी खान चौधरी के निधन के लगभग दशक बाद भी खान चौधरी परिवार के सदस्य अभी भी उनके नाम का इस्तेमाल अपनी राजनीति चमकने के लिए करते हैं। गनी खान चौधरी इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकार में रेलमंत्री रहे थे। मालदा रेलवे स्टेशन स्थापित करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। इसलिए मालदावासियों के दिल में उनके लिए विशेष स्थान हमेशा रहा है। कोलकाता में मेट्रो रेल की शुरुआत करने में भी उनका योगदान था। वे बंगाल सरकार में मंत्री भी थे।
राजनीति के नाम पर बंटा परिवारः एबीए गनी खान चौधरी के दो भाई हैं। एएन खान चौधरी और एएच खान चौधरी। बहन थीं रूबी नूर। वे विधायक भी थीं। मौसम, रूबी नूर की बेटी हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मौसम नूर के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद एएच खान चौधरी के बेटे ईशा खान चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। अर्थात एक ओर मालदा उत्तर सीट पर मुकाबला ममेरे भाई-बहन के बीच है तो दूसरी तरफ चुनावी जंग में गनी खान चौधरी का कुनबा जो आज तक उनका नाम भुनाता था, बिखरता दिख रहा है। एएन खान चौधरी 2015 में ही तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन भतीजे ईशा खान चौधरी ने हराया था।
बता दें कि ईशा खान चौधरी फिलहाल मालदा जिले की सुजापुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। वहीं उनके पिता एएच खान चौधरी मालदा दक्षिण लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद है और 2019 के लिए इसी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार भी।
कांग्रेस का गढ़ पर दो तरफा हमलाः मालदा जिला हमेशा से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है। पश्चिम बंगाल में सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, गनी खान परिवार का इस जिले की राजनीति पर दबदबा रहा रहा है। परिवार के किसी सदस्य को इस जिले ने निराश नहीं किया। इस बार का लड़ाई अलग है। हालांकि अन्य राजनीतिक दलों, जैसे वामो समर्थित माकपा प्रत्याशी विश्वनाथ घोष भी मैदान में हैं। भाजपा के उम्मीदवार खगेन मुर्मू भी अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं। और इसका सबसे ज्यादा नुकसान टीएमसी नहीं बल्कि कांग्रेस को हो रहा है। कांग्रेस का यह गढ़ टीएमसी और बीजेपी के हमले के कारण आज त्रिकोणीय लड़ाई में फंसा नजर आ रहा है।
क्यों चुनौती दे रही है भाजपा? कभी माकपा विधायक मुर्मू इसी माह भाजपा में शामिल हुए हैं। खगेन मुर्मू पिछली बार यहां से माकपा के कैंडिडेट थे और दूसरे नंबर पर आए थे। कभी यहां न के बराबर समझी जा रही भाजपा में पार्टी नेतृत्व ने नए तरीके से जान फूंकने की कोशिश की है। पिछले कुछ सालों में भाजपा ने इस इलाके में अपने जनाधार के विस्तार पर काफी जोर दिया था। 2016 का विधान चुनाव हो या गत वर्ष हुए पंचायत चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन में काफी सुधार आया है। बैश्णवनगर विधानसभा सीट से भाजपा के स्वाधीन कुमार सरकार विजयी हुए थे। इस बार माल्दा में कई महीने से बीजेपी लगातार मेहनत कर रही है। शीर्ष नेतृत्व के कई नेता दौरा भी कर चुके हैं। पीएम नरेंद्र मोदी भी रैली के लिए आ सकते हैं।
पिछले 2 लोकसभा चुनावों के परिणामों लेखा-जोखाः 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का तृणमूल कांग्रेस के साथ गठजोड़ था। मौसम नूर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी माकपा के शैलेन सरकार को लगभग 60 मतों से पराजित किया था। नूर को 4,40,264 वोट मिले थे जबकि माकपा प्रत्यशी ने 3,80,123 मत प्रप्त किये थे। भापजा के अमलान भादूरी को मात्र 6.67 फासदी अर्थात 61,515 मत मिले थे।
2014 के आम चुनाव में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में समझौता नहीं हुआ था। हालांकि कांग्रेस प्रत्यशी मौसम ने जीत तो दर्ज की लेकिन उनका वोट प्रतिशत लगभग 10 फीसदी कम हो गया था। मौसम को 3,88,609 वोट मिले थे। माकपा के खगेन मुर्मू 3,22,904 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। सूबे की सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस के प्रत्यशी सौमित्र राय 1,97,313 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। सबसे आश्चर्यजनक परिणाम भाजपा के लिए रहा था। भाजपा प्रत्याशी भले ही चौथे स्थान पर रहे थे लेकिन मत प्रतिशत में लगभग 9 फीसदी का उछाल आया था। भाजपा उम्मीदवार को 1,79,000 मत मिले थे। यही कारण है कि इस बार चुनाव में भाजपा खगेन मुर्मू को उतारकर भाजपा इस चुनावी लड़ाई को और दिलचस्प बना रही है।
राहुल कर सकते हैं सभाः तृणमूल कांग्रेस भी मालदा जिले में कांग्रेस के एकछत्र राज्य को समाप्त करने के लिए पहले से ही कमर सक चुकी है। इस बार वह मालदा उत्तर और मालदा दक्षिण लोकसभा सीटों पर जीत स्वाद चखने के लिए जोरशोर जुटी हुई है। अपनी इसी रणनीति के तहत उसने मौसम नूर को अपने पाले में लिया। इसका कारण यह है कि एक तो वे गनी खान परिवार की सदस्य हैं तो दूसरी ओर इस सीट को 2 बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। तृणमूल कांग्रेस सुप्रिमो तथा बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मौसम के काफी बेहतर संबंध हैं। इस बीच कांग्रेस ने गनी खान परिवार के सदस्य ईशा को इस सीट से चुनावी मैदान में उतार कर लड़ाई को रूख मोड़ दिया है। भाजपा के छोड़कर अब सभी पार्टियों के उम्मीदवार मैदान उतरकर प्रचार में जुट गये हैं। ममता बनर्जी अपने प्रत्याशी के समर्थन में सभा करेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 23 मार्च को मालदा के चांचल में एक चुनावी रैली को संबोधित करेंगे।
(उत्तर बंगाल से पूनम चौधरी की रिपोर्ट)