दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में स्थानीय मसले ही प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं। बिजली-पानी और तारों का बड़ा जंजाल यहां की सबसे बड़ी समस्या है और पुराने कारोबारियों को आज भी इन परियोजनाओं के पूरा होने का इंतजार है। इन मुद्दों की लड़ाई में इस बार सीधी टक्कर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जय प्रकाश अग्रवाल और बीजेपी के प्रवीन खंडेलवाल के बीच है। दिल्ली में बीजेपी सातों सीट को अपना गढ़ बता रही है, लेकिन वह इस बात को भी दबी आवाज में स्वीकार कर रही है कि चांदनी चौक सीट पर इस दफा मुकाबला कांटे की टक्कर का हो सकता है। कांग्रेस के जय प्रकाश अग्रवाल इस सीट से एक बार पहले भी सांसद रह चुके हैं।
यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों को राज करने का मिला है मौका
चांदनी चौक सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को राज करने का मौका मिला है। मगर 2024 का लोकसभा चुनाव भी यहां बुनियादी सुविधाओं के नाम पर ही लड़ा जा रहा है। इस लोकसभा क्षेत्र में चार विधानसभा सीट विपक्ष का गढ़ हैं, इनमें सेंध लगाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इन सीट में मटिया महल, बल्ली महरान, चांदनी चौक और सदर बाजार ऐसी विधानसभाएं हैं, जो कि अल्पसंख्यक बहुल इलाके हैं। जबकि नए परिसीमन के बाद चांदनी चौक सीट में जो बदलाव आया है, उसमें कई क्षेत्रों को इसमें जोड़ दिया है।
इसके बाद से चांदनी चौक सीट के समीकरण बदले हैं। ताजा समीकरण चांदनी चौक सीट को बनिया बहुल सीट बनाते हैं और यहां सीधी टक्कर बनिया समुदाय के दो बड़े चेहरों के बीच है। इस क्षेत्र में 38 जैन मंदिर हैं और इनमें श्वेताम्बरी और दिगाम्बरी जैन समुदाय के लोग हैं।
इस सीट से देश के बड़े-बड़े चेहरे चुनाव प्रचार के लिए उतरे हैं। पुरानी सीट सबसे छोटी सीट होती थी, इस वजह से कांग्रेस नेता दिवंगत संजय गांधी इस सीट के गलियों में पैदल ही प्रचार करते थे। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, चांदनी चौक सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 29.66 फीसद, आम आदमी पार्टी को 14.74 फीसद और भाजपा को 52.92 फीसद मत मिले थे। यहां 16.83 फीसद एससी, 14 फीसद मुस्लिम, 19 फीसद ओबीसी, 17 फीसद वैश्य, 14 फीसद पंजाबी और सात फीसद ब्राहमण मतदाता हैं। दिल्ली की यह अकेली ऐसी सीट है, जिसमें लोकसभा, विधानसभा और निगम वार्ड क्षेत्र का नाम तक भी चांदनी चौक के नाम पर है।
इस सीट से जनता का समर्थन पाने के लिए दोनों दलों के प्रत्याशियों को जनता को यह भरोसा दिलाना होगा कि वे जीतने के बाद यहां की बुनियादी कमियों को सबसे पहले दूर करेंगे और लोगों की जरूरतों को पूरा करेंगे।