Lok Sabha Chunav Election Result 2024 (लोकसभा चुनाव परिणाम 2024) Analysis Updates: लोकसभा चुनाव 2024 की मतगणना पूरी हो चुकी है। चुनाव आयोग के नतीजों से यह साफ हो गया है कि बीजेपी का 370 और एनडीए के लिए ‘400 पार’ का नारा सच साबित नहीं हुआ। भाजपा और एनडीए को भारी नुकसान हुआ है। एनडीए 293 सीटों पर और इंडिया गठबंधन ने 233 सीटों पर जीत का परचम लहराया है। माना जा रहा है कि बीजेपी और एनडीए के मौजूदा सांसदों से नाराजगी पार्टी को भारी पड़ी है। जाहिर है, नरेंद्र मोदी का जादू 2014 ओर 2019 की तरह नहींं चला है।
यह नतीजे एग्जिट पोल्स में दिखाए गए नतीजों और भाजपा के वादों से एकदम उलट हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश में चुनाव से कुछ महीने पहले ही अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। इसे काफी प्रचारित भी किया गया था और चुनाव प्रचार में भी इसे मुद्दा बनाया गया था। इसके उलट, सपा और कांग्रेस ने राज्य में बेरोजगारी, महंगाई का मुद्दा उठाया। राहुल गांधी ने कहा था कि अगर इंडिया की सरकार बनी तो मोदी सरकार द्वारा लाई गई सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना खत्म कर देगी। लोकसभा चुनाव परिणाम से जुड़े लाइव अपडेट यहां देखें।
लोकसभा चुनाव परिणाम 2024 का रियल टाइम विश्लेषण यहां पढ़िए।
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने से पहले तमाम एग्जिट पोल के परिणाम सामने आ चुके हैं। इन पोल्स पर राजनीतिक विश्लेषकों ने भी अपनी राय दी है। विश्लेषक संदीप शास्त्री ने भी एग्जिट पोल पर अपनी राय दी है। उनके मुताबिक, एग्ज़िट पोल दो महत्वपूर्ण रुझानों की ओर इशारा कर रहे हैं। सबसे पहले, भाजपा उत्तर, पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर भारत में अपने पिछले शानदार प्रदर्शन को बरकरार रखती दिख रही है। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में सीटों की मामूली गिरावट (हरियाणा, राजस्थान, मुख्य रूप से) हो सकती है। एग्जिट पोल अनुमान लगा रहे हैं कि बीजेपी बिहार और महाराष्ट्र में अपनी सीटें बरकरार रख सकती है, लेकिन उसके सहयोगियों को मामूली गिरावट देखने को मिल सकती है।
सर्वे अनुमान लगा रहे हैं कि भाजपा दक्षिण भारत में भी इस बार आगे बढ़ती दिख रही है। पार्टी कर्नाटक में अपनी सीटें बरकरार रखेगी। एग्जिट पोल के कर्नाटक के आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक में विधानसभा चुनावों में एक पार्टी और लोकसभा चुनावों में दूसरी पार्टी का समर्थन करने वाले मतदाताओं के पिछले रुझान इस बार भी दोहराए गए हैं। अगर एग्जिट पोल के आंकड़े सही रहे तो तेलंगाना में बीआरएस के पीछे हटने से भाजपा को फायदा होगा। सर्वे के अनुसार ओडिशा में भी भाजपा को फायदा होता दिख रहा है।
प्रोफेसर हिलाल अहमद ने लोकसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या में गिरावट पर लिखे एक लेख में कहा है कि टिकट वितरण के दौरान सही उम्मीदवारों की पहचान के लिए निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर जाति और धार्मिक आधार को भी ध्यान में रखा जाता है।उनका कहना है कि किसी भी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल के लिए मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देना कठिन हो गया है। मुस्लिम-बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में वोटों को विभाजित करने के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों को चतुराई से मैदान में उतारा जाता है।
प्रोफेसर हिलाल राजनीति में हिंदुत्व-संचालित राष्ट्रवाद के उत्थान पर कहते हैं कि भाजपा अब यह धारणा बनाने में सफल रही है कि अतीत में विपक्षी दलों द्वारा मुसलमानों का तुष्टीकरण किया गया है और इससे हिंदू कमजोर हुए हैं। यहां तक कि मुसलमानों के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का सवाल भी एक सांप्रदायिक मुद्दा बन गया है। ऐसे में कोई भी पार्टी “मुस्लिम समर्थक” के रूप में पहचानी जाना नहीं चाहती।
लोकनीति-सीएसडीएस ने चुनाव बाद किए सर्वे के नतीजों में बताया है कि भाजपा को 40 फीसदी वोट हासिल हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो 1984 के बाद पहली बार ऐसा हेागा कि किसी एक पार्टी को लोकसभा चुनाव में 40 फीसदी वोट हासिल होगा। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के इतिहास में यह एक और मील का पत्थर साबित होगा। इस संभावना की सच्चाई भी 4 जून को चुनाव नतीजों से सामने आएगी।
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