सर्वेश कुमार
लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के लिए होने वाले मतदान में दिल्ली के किसान अहम भूमिका निभाएंगे। दिल्ली के 148 गांवों के लाखों किसान लंबे अरसे से योजनाओं के फायदे से वंचित और मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि इस बार वे उस पार्टी को अपना समर्थन देंगे जो उनके हितों की अनदेखी नहीं करे। एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर जारी आंदोलन भी किसानों को याद है।
किसानों का कहना है कि दिल्ली के गांवों को शहरीकृत घोषित किए जाने व दिल्ली में कृषि या किसान कल्याण मंत्रालय नहीं है। ऐसे में केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच फंसे दिल्ली के किसानों को किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी दिल्ली के अलावा बाहरी दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में किसान मतदाताओं की संख्या करीब पांच लाख जबकि कृषि श्रमिकों को शामिल करने पर यह संख्या और अधिक है।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मतदाताओं का दर्द है कि सर्किल रेट कम होने से जमीन का मुआवजा उन्हें काफी कम है। उनके ट्रैक्टर, खाद और बिजली दूसरे राज्यों से महंगी मिलती है। दूसरे राज्यों में ट्रैक्टर को कृषि उपकरण की श्रेणी में रखा गया है जबकि दिल्ली में वाहन के तौर पर किसानों को इसपर रोड टैक्स चुकाना पड़ता है।
खाद पर सब्सिडी नहीं मिलती है तो बिजली की दरें अधिक होने और जमीन बंटवारा होने पर परिवार के दूसरे सदस्य के लिए नए मीटर की सुविधा नहीं होने जैसी समस्या से जूझ रहे हैं। भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष हरपाल सिंह डागर ने कहा कि किसानों की भूमि अधिग्रहण पर सर्किल रेट बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाके में अपशिष्ट जल प्रबंधन की सुविधा नहीं होना दिल्ली के किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। मुबारकपुर, मुंडका, रानीखेड़ा, मदनपुर और रावता समेत कई गांवों में फसल पानी में डूबे रहते हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य युद्धवीर सिंह ने कहा कि दिल्ली के किसानों को उनका पूरा हक नहीं मिल रहा है। बात चाहे जमीन के अधिग्रहण पर मुआवजा की हो या दूसरी सुविधाएं किसानों को उनका पूरा हक नहीं मिल रहा है। दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान संघर्ष में शामिल किसान इसे भूले नहीं हैं। जो किसानों के हित की बात करेगा, उसे ही किसान समर्थन देंगे।