भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कई कोशिशों के बाद भी पश्चिम बंगाल में रथयात्रा नहीं निकाल पाई। कारण- मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सरकार ने बीजेपी प्रमुख अमित शाह को यात्रा की मंजूरी नहीं दी। हवाला इंटेलिजेंस विभाग की उस रिपोर्ट का दिया गया, जिसमें सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका जताई गई थी। हाल ही में इस पर ‘इंडिया टुडे’ ने पड़ताल की, जिसमें असल कहानी कुछ और ही निकल कर आई। मीडिया समूह की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने जब इस बारे में इंटेलिजेंस के अफसरों से बात की, तो वे बोले, “रिपोर्ट ऊपरी आदेश पर तैयार की गई थी।”
दरअसल, लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने बंगाल में रथयात्रा निकालने की योजना बनाई थी। पार्टी सात दिसंबर 2018 को कूच बिहार में, नौ तारीख को 24 परगना में और 14 दिसंबर को बीरभूम में यात्रा निकालना चाहती थी। पर ममता ने उस पर बुरी तरह पानी फेर दिया और अनुमति नहीं दी। हालांकि, बीजेपी इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा, जहां उसकी याचिका खारिज कर दी गई। देखें, रथयात्रा को लेकर किया गया यह स्टिंगः
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दंगे की आशंका पर बनी 'मनगढंत रिपोर्ट'
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चैनल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इंटेलिजेंस विभाग के पास ऐसी कोई अहम जानकारी नहीं है, जिसके बलबूते वह रथयात्रा पर रोक का फैसला सही बता पाएगी। बांकुरा में इंटेलिजेंस वॉच के प्रभारी अफसर जेपी सिंह के हवाले से कहा गया कि हर जिले में तब रिपोर्ट बनी थी। यूनिट की रिपोर्ट ऊपर से आए आदेश पर तैयार हुई थी, जिसे बाद में आगे बढ़ाया गया। बकौल सिंह, “सब हवा-हवा में (इनपुट्स) है।”
उधर, पश्चिमी बर्धमान में स्पेशल ब्रांच के एसीपी बप्पादित्य घोष ने माना- हमारे पास कोई ठोस इंटेलिजेंस नहीं था। हालांकि, उन्होंने यह जरूर साफ किया कि उन पर राजनीतिक दबाव था। वहीं, स्टिंग के आधार पर टीएमसी के मदन मित्रा से पूछा गया तो उन्होंने फर्जी इंटेलिजेंस होने की बात की सिरे से नकार दिया। बोले- मैं इससे पूरी तरह असहमत हूं। हावड़ा देहात में इंटेलिजेंस अफसरों ने स्वीकारा कि रिपोर्ट पूर्व के रिकॉर्डों के आधार पर तैयार हुई थी।