सबरीमाला मंदिर विवाद दक्षिणी राज्य केरल और कर्नाटक में एक राजनीतिक विवाद बनता जा रहा है। इसी के मद्देनजर अपनी सियासत चमकाने के लिए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा आज (गुरुवार, 08 नवंबर, 2018) मट्टूर से सबरीमाला तक रथ यात्रा निकाल रहे हैं। 22 दिनों की उनकी रथ यात्रा राज्य के अलग-अलग हिस्सों से गुजरते हुए 30 नवंबर को केरल के सबरीमाला पहुंचेगी। माना जा रहा है कि येदुरप्पा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की राह पर चलते हुए दक्षिण के आडवणी बनने की कोशिशों में हैं। बता दें कि तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए 28 साल पहले 25 सितंबर 1990 से 30 अक्टूबर 1990 के बीच गुजरात के सोमनाथ से यूपी के अयोध्या तक राम रथ यात्रा निकाली थी लेकिन बिहार में लालू प्रसाद की सरकार ने उनके रथ को रोक लिया था और उन्हें जेल भिजवा दिया था।

इसे संयोग कहें या भाजपा की राजनीतिक चाल कि येदुरप्पा की यह यात्रा उसी लालकृष्ण आडवाणी के 91वें जन्मदिन पर निकाली जा रही है। आडवाणी की राम रथ यात्रा को भाजपा के अलावा संघ परिवार, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और अन्य हिन्दूवादी संगठनों का समर्थन हासिल था। सबरीमाला विवाद में भी भाजपा को संघ, विश्व हिन्दू परिषद और अन्य हिन्दूवादी संगठनों का समर्थन हासिल है। वैसे आशंका जताई जा रही है कि जिस तरह आडवाणी का रथ रोका गया था उसी तरह केरल की वामपंथी सरकार भी येदुरप्पा की रथ यात्रा सबरीमाला पहुंचने से रोक सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सितंबर में फैसला सुनाया था कि केरल के सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश और पूजा करने की इजाजत है। इससे पहले वहां 10 साल से लेकर 50 साल तक की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पिछले महीने महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन श्रद्धालुओं के जबर्दस्त विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो सका।

केरल सरकार जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए बाध्य है, वहीं भाजपा समेत कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के पैसले का विरोध कर रही है और इसे संस्कृति पर आघात बता रही है। रथ यात्रा शुरू करने से पहले येदुरप्पा ने कहा कि हमारी संस्कृति ने हमेशा से महिलाओं को प्राथमिकता दी है और उनका सम्मान किया है। आज जो कुछ भी हो रहा है, वह सब केरल सरकार की वजह से हुआ है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुलझाने में राज्य सरकार असफल रही और इसके बाद स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। उन्होंने कहा कि 90 फीसदी से अधिक महिलाएं इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। यह सही समय है, जब केरल के मुख्यमंत्री को आवश्यक कदम उठाने चाहिए और मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाना चाहिए। हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध नहीं कर रही है लेकिन जनता की भावनाओं का भी सम्मान किया जाना उतना ही महत्वपूर्ण है।

यहां यह बात गौर करने वाली है कि जिस वक्त आडवाणी ने राम रथ यात्रा निकाली थी उसके अगले साल यानी 1991 के मई में लोकसभा चुनाव होने थे। उन चुनावों में भाजपा को कुल 35 सीटों का फायदा हुआ था। भाजपा के कुल 120 सांसद चुने गए थे। इस बार भी अगले साल यानी 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। दक्षिण में भाजपा कमजोर हुई है। कर्नाटक में जहां उसका किला ढह चुका है, वहीं केरल में उसकी स्थिति नगण्य मात्र है। लिहाजा, इस रथ यात्रा को 2019 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा को उम्मीद है कि मिशन 2019 में यह रथ यात्रा फलदायी साबित होगी।