Karnataka Election Results 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के रुझानों में कांग्रेस सरकार बनाती दिख रही है। खबर लिखे जाने तक कांग्रेस 114 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी थी, जबकि 22 सीटों पर अपने प्रतिद्वंद्वी पार्टियों से काफी अंतर से आगे चल रही थी। भाजपा 52 सीटें जीत चुकी थी और 12 पर आगे चल रही थी। जनता दल (सेक्यूलर) 17 सीटें जीत चुकी थी और 3 सीटों पर आगे चल रही थी।

यदि ऐसा ही ट्रेंड कायम रहा तो कांग्रेस कर्नाकट विधानसभा में 136 सीटों पर कब्जा करेगी। यदि ऐसा हुआ तो पिछले 34 साल में कर्नाटक में यह किसी पार्टी की सबसे बड़ी जीत होगी। कर्नाटक में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भी कांग्रेस के नाम है।

कांग्रेस ने 1989 में 178 जीते थीं तब उसका वोट शेयर 43.76% था। हालांकि, वोट प्रतिशत के मामले में कांग्रेस इस बार भी ज्यादा पीछे नहीं है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, 13 मई 2023 की शाम 5 बजे तक कांग्रेस का वोट शेयर 43.08% हो चुका था।

1989 के बाद से ऐसा रहा कर्नाटक में पार्टियों का प्रदर्शन

  • साल 1989: कांग्रेस ने 221 सीटों पर चुनाव लड़ा और 131 सीट के फायदे के साथ 178 सीट पर जीत हासिल की। उसके कुल पड़े वोट में से 7,990,142 मत मिले। वीरेंद्र पाटिल सूबे के मुख्यमंत्री बने।
  • साल 1994: कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा की अगुआई में जनता दल (सेक्यूलर) ने 115 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी। तब जेडीएस का वोट शेयर 33.54% था।
  • साल 1999: कर्नाटक में 1999 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की। उसने 132 सीटें जीतीं और एसएम कृष्णा सूबे के मुख्यमंत्री बने। उस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 40.84% था।
  • साल 2004: कर्नाटक में 2004 में भाजपा पहली बार सत्ता में आई। हालांकि, तब वह सिर्फ 79 सीट पर ही जीत हासिल कर पाई थी। तब उसका वोट शेयर 28.33% था। उस समय बीएस येदियुरप्पा सूबे के मुख्यमंत्री बने थे।
  • साल 2008: राज्य सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और 2008 में ही चुनाव कराने पड़े। भाजपा फिर से सत्ता में आई और बीएस येदियुरप्पा फिर से सूबे के मुख्यमंत्री बने। तब भाजपा के खाते में 110 सीटें थीं, जबकि वोट 33.86% था।
  • साल 2013: कांग्रेस ने कई साल बाद सूबे की सत्ता में वापसी की। कांग्रेस को 122 सीटें मिलीं और उसका वोट प्रतिशत 36.6% रहा। इस बार सिद्दरमैया राज्य के मुख्यमंत्री बने।
  • साल 2018: भाजपा पूर्ण बहुमत नहीं पाने के बावजूद सरकार बनाने में सफल रही। उस साल भाजपा के खाते में 104 सीटें आईं थीं, जबि वोट 36.3% ही रहा था। बीएस येदियुरप्पा फिर से सूबे के मुख्यमंत्री बने।