कर्नाटक का चुनाव करीब है, प्रचार जोरों पर चल रहा है और हर बार की तरह सबसे ज्यादा फोकस जातीय समीकरण साधने पर दिया जा रहा है। लेकिन क्या कर्नाटक की सियासत ऐसी है जहां पर सिर्फ जातियों को आधार बनाकर सत्ता हासिल की जा सकती है। क्या सिर्फ कुछ जातियों को अपने पाले में करने से कोई भी पार्टी जीत की गारंटी मान सकती है? अगर कोई भी दल ऐसा सोचता है, तो वो बड़े भ्रम में है क्योंकि कर्नाटक दक्षिण का एक ऐसा राज्य है जहां पर जातियों से ऊपर उठकर कई ऐसे पैरामीटर हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी रहता है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो सियासी झटके के लिए पार्टी को तैयार रहना चाहिए। कुल 10 ऐसे पैरामीटर हैं जिन पर सभी पार्टियों को अपना ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है-
देश से तेज कर्नाटक की अर्थव्यवस्था
कर्नाटक को एक विकसित राज्य के तौर पर देखा जा सकता है,अभी से नहीं, कई सालों से। इसी वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था की जब बात की जाती है, तो ये देश की अर्थव्यवस्था से भी तेज गति से आगे बढ़ती है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि कर्नाटक में साल 2022-23 में 7.6 प्रतिशत की ग्रोथ देखी गई, वहीं इसी अंतराल के दौरान देश ने 7 फीसदी की ग्रोथ देखी। राज्य की जो GSDP रही है, वो भी 12.30 लाख करोड़ से बढ़कर 13.26 लाख करोड़ पर पहुंच गई है।
बड़ी बात ये भी है कि अर्थव्यवस्था के मामले में इस समय सिर्फ महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु उससे आगे हैं। चौथे नंबर पर कर्नाटक रहता है, यानी कि टॉप 4 में इसने लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।
देश से ज्यादा प्रति व्यक्ति आय
कर्नाटक इस समय प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी देश से आगे चल रहा है। आंकड़े बताते हैं कि 2021-22 में कर्नाटक की प्रति व्यक्ति आय देश की प्रति व्यक्ति आय से डेढ़ गुना ज्यादा रही। वहीं सिर्फ 6 ऐसे राज्य रहे जहां पर प्रति व्यक्ति आय कर्नाटक से ज्यादा दर्ज की गई। इस लिस्ट में गोवा, सिक्किम, दिल्ली, चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा शामिल रहे। कर्नाटक में इस समय प्रति व्यक्ति आय 92,583 रुपये है।
कर्नाटक में तेजी से बढ़ी प्रति व्यक्ति आय
अब कर्नाटक प्रति व्यक्ति आय में तो बेहतर प्रदर्शन कर रही रहा है, आंकड़े ये भी बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में सबसे तेजी से ‘पर कैपिटा इनकम’ बढ़ने के मामले भी कर्नाटक आगे रहा है। पिछले 10 सालों में प्रति व्यक्ति आय के मामले में राज्य में 4.52 फीसदी से बढ़कर 10.56 फीसदी की ग्रोथ देखी गई है। इसी अंतराल में देश की बात करें तो वहां पर प्रति व्यक्ति आय के मामले में 8.86 फीसदी से 7.59 फीसदी के बीच में बदलाव देखने को मिला है।
देश से कम कर्नाटक में बेरोजगारी
Periodic Labour Force Survey (PLFS) बताता है कि कर्नाटक में बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत रहा है। अब ये आंकड़ा पूरे देश की बेरोजगारी दर से कम है। 2021-22 में देश का बेरोजगारी दर 4.1 फीसदी रहा। वहीं बात अगर शहरी और ग्रामीण बेरोजगारी दर की की जाए, तो वहां भी कर्नाटक का प्रदर्शन देश की तुलना में बेहतर रहा है।
कर्नाटक में महंगाई भी देश की तुलना में कम
देश में महंगाई एक बड़ा मुद्दा है, कर्नाटक में भी ये अहम मुद्दा माना जा रहा है। लेकिन एक आंकड़ा ये बताता है कि राज्य में जो महंगाई दर रही है, वो भी देश की तुलना में कम ही है। इस साल मार्च में खुदरा महंगाई दर 5.58% रही, वहीं इसी दौरान देश का आंकड़ा 5.66% दर्ज किया गया।
देश का चौथा सबसे बड़ा निर्यात करने वाला राज्य
कर्नाटक निर्यात के मामले में भी शानदार प्रदर्शन कर रहा है। देश का कुल निर्यात 4,22,004.42 मिलियन डॉलर माना गया है, उसका 6.13 प्रतिशत तो कर्नाटक द्वारा ही किया जाता है। आंकड़ों मे बात करें तो कर्नाटक से 25,874.50 मिलियन डॉलर का निर्यात रहता है। सिर्फ इस मामले में गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्य से आगे चल रहे हैं।
राजस्व घाटा चल रहा कम, देश से बेहतर प्रदर्शन
कर्नाटक आर्थिक मौर्चे के कई पैरामीटर्स पर बेहतर प्रदर्शन करता दिख रहा है. इसी वजह से जब राजस्व घाटा चेक किया गया तो यहां भी देश की स्थिति की तुलना में राज्य ने खुद को बेहतर रखा है।
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों की संख्या कम
बीपीएल यानी कि बिलो पोवर्टी लाइन के मामले में भी कर्नाटक में स्थिति कुछ बेहतर दिखाई देती है। अगर 2013 के आंकड़ों को देखा जाए तो राज्य में देश की तुलना में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों की संख्या कुछ कम रही। लेकिन बात अगर शहरी गरीबी की हो, तो वहां जरूर कर्नाटक में आंकड़ा देश से थोड़ा ज्यादा रहा।
डायरेक्ट टैक्स के मामले में मारी बाजी
किसी भी देश के विकास में टैक्स भुगतान का समय पर होना जरूरी रहता है, यहां भी कर्नाटक की स्ट्राइक रेट जबरदस्त है। बात इनकम टैक्स की हो या हो कॉरपोरेट टैक्स की, राज्य का प्रदर्शन अच्छा है। डायरेक्ट टैक्स के मामले में कर्नाटक तीसरा सबसे बड़ा राज्य माना गया है। देश का जो कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन है, उसका 12 प्रतिशत तो कर्नाटक से ही आया है।
लगातार हो रही टैक्स देने में बढ़ोतरी
कर्नाटक उन राज्यों में शुमार है जहां पर डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में लगातार एक ग्रोथ देखी गई है। पिछले पांच सालों में तीन साल तो ऐसे रहे जब कर्नाटक डायरेक्ट टैक्स में हुई बढ़ोतरी के मामले में देश से भी आगे रहा।