Karnataka Vidhan Sabha Chunav Result 2023 Updates in Hindi: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के शुरुआती रुझानों में कांग्रेस शतक पूरा कर चुकी है और पूर्ण बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। वहीं सत्ताधारी भाजपा 70 के आसपास सिमटती दिख रही है। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की जगह पार्टी के वयोवृद्ध नेता बीएस येदियुरप्पा को अपना पोस्टर ब्वॉय बनाया था, लेकिन वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं थे।
जाहिर है लगाम के बिना सम्मान मिलने से येदियुरप्पा भी खुश नहीं रहे होंगे। भाजपा की ओर से बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाए जाने के बाद राजनीतिक विश्लेषक ने पहले ही लिंगायत वोट के छिटकने के कयास लगा रहे थे। लिंगायत कर्नाटक में राजनीतिक प्रभाव वाला एक प्रमुख समुदाय है। करीब 100 विधानसभा सीटों पर इस समुदाय का प्रभाव है। बीएस येदियुरप्पा की इस वोट बैंक पर अच्छी पकड़ है।
लिंगायत मठों के 100 से अधिक संतों ने येदियुरप्पा को अपना समर्थन दिया था, लेकिन अपने नेता को सत्ता में नहीं देखने (मुख्यमंत्री नहीं बनने) के कारण लिंगायत समुदाय असंतुष्ट था और उसका नतीजा चुनाव परिणामों पर भी दिख रहा है।
भाजपा ने कर्नाटक में 2013 में पहली बार बीएस येदियुरप्पा के बिना चुनाव लड़ा था और उस बार भी उसे मुंह की खानी पड़ी थी। तब भाजपा सिर्फ 40 सीटों पर सिमट गई थी और कांग्रेस ने 121 सीटें हासिल की थीं। जनता दल (सेक्युलर) के हिस्से भी 40 सीटें आईं थीं।
चार बार में एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए बीएस येदियुरप्पा
80 साल के बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह कर्नाटक में भाजपा के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक हैं। हालांकि, वह एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। हाल ही में सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान करने वाले येदियुरप्पा अभी भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं।
नवंबर 2007 में पहली बार सिर्फ 8 दिन के लिए बने थे मुख्यमंत्री
बीएस येदियुरप्पा पहली बार 12 नवंबर 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि, उन्हें 19 नवंबर 2007 को ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद 30 मई 2008 को उन्होंने दोबारा कर्नाटक की सत्ता की कमान संभाली। इस बार उनका 3 साल से ज्यादा चला, लेकिन पूरा नहीं। उन्होंने 4 अगस्त 2011 को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। येदियुरप्पा 17 मई 2018 को तीसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार उन्हें 6 दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 26 जुलाई 2019 को वह फिर से मुख्यमंत्री पद पर बैठे, लेकिन 28 जुलाई 2021 को पद छोड़ना पड़ा।