Kannauj Lok Sabha Election 2024 Date, Candidate Name: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। हालांकि, इस बार का कन्नौज लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है। क्योंकि इस सीट पर मौजूद सांसद बीजेपी के सुब्रत पाठक हैं तो वहीं यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर 1998 से 2014 तक समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। 2014 में सपा चीफ अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक को मात दी थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक ने सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को हराया था। हालांकि, अभी इस सीट से किसी भी राजनीतिक दल ने अभी अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है, लेकिन चर्चा है कि इस सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प होगा।
1998 से 2014 तक कन्नौज पर सपा का रहा कब्जा
कन्नौज संसदीय क्षेत्र पर 1998 से लेकर 2014 तक लगातार समाजवादियों का कब्जा रहा। सपा संस्थापक स्व. मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश यादव और फिर उनकी पत्नी डिंपल यादव सांसद रहीं। हालांकि 2019 में मोदी और योगी की लहर चली तो भाजपा के प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने डिंपल को पराजित कर दिया।
2014 के आंकड़े:
| पार्टी का नाम | प्रत्याशी का नाम | वोट | वोट शेयर |
| समाजवादी पार्टी | डिंपल यादव | 489164 | 43.89% |
| भारतीय जनता पार्टी | सुब्रत पाठक | 469257 | 42.11% |
| बहुजन समाज पार्टी | निर्मल तिवारी | 127785 | 11.47% |
| आम आदमी पार्टी | इमरान बिन जाफर | 4826 | 0.43% |
सपा के गढ़ में बीजेपी ने 2019 में लहराया परचम
कन्नौज लोकसभा सीट सपा का गढ़ रहा है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक ने इस सीट पर कब्जा जमाया। पिछले पांच लोकसभा चुनावों का आंकड़ा देखें तो यहां पर भाजपा बड़ा करिश्मा करती नहीं दिखती है। साल 2014 में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी उम्मीदवार इस सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं हो पाए थे। साल 2019 में तीसरी बार सुब्रत पाठक ने समाजवादी पार्टी के गढ़ में सेंधमारी करने में कामयाबी पाई। अब वे इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा को एक बार फिर जीत दिलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
2019 लोकसभा चुनाव का परिणाम-
2019 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक को 563087 वोट मिले थे। वहीं उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी व डिंपल यादव को 550734 मत मिले थे। चर्चित कन्नौज सीट पर 11 लाख 40 हजार 985 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इसमें से 8165 मत नोटा के खाते में पड़े थे।
कन्नौज सीट पर रिकॉर्ड जीत
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कन्नौज सीट काफी मशक्कत के बाद सपा के खाते में आई थी। यहां से डिंपल यादव ने महज 19 हजार 907 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। 1996 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट का मुकाबला 2 लाख 91 हजार 617 वोटों से अपने नाम किया था। इसके बाद वर्ष 2000 में यह सीट मुलायम ने छोड़ दी, जिसकी वजह से इस सीट पर उपचुनाव हुए और समाजवादी पार्टी की ओर से अखिलेश यादव ने 3 लाख 6 हजार 54 मतों से जीत हासिल की। सपा चीफ अखिलेश यादव को बसपा उम्मीदवार अकबर अहमद डंपी ने बड़ी चुनौती दी थी और उन्हें 2 लाख 47 हजार 329 वोट मिले थे।
मुस्लिम, दलित और यादवों का दबदबा
कन्नौज में मुस्लिम, दलित और यादवों का दबदबा है। यहां तीन लाख मुसलमान रहते हैं और दलितों एवं यादवों की आबादी क्रमश: 2.8 फीसदी और 2.5 है। 2019 के चुनाव में भाजपा को यहां दलितों और यादवों को वोट ज्यादा मिला था। यूपी निकाय चुनावों पर नजर डालें तो सपा यहां सिर्फ एक जिला पंचायत तालाग्राम जीती थी। ऐसे में अखिलेश के लिए राह इतनी भी आसान नहीं होगी। हालांकि, स्थानीय नेताओं का ऐसा मानना है कि अगर अखिलेश यहां वापसी करते हैं तो इससे आस-पास के क्षेत्रों में भी पार्टी को मजबूती मिलेगी। इस बीच अखिलेश यहां के कई दौरे कर चुके हैं और स्थानीय मुद्दों को उठा रहे हैं।
