कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी को बुधवार (23 जनवरी) को पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया। इसके साथ ही उन्हें उत्तर प्रदेश पूर्व का प्रभारी बनाया गया है। प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में शामिल होने पर जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा कि भारतीय राजनीति में इसका सबसे ज्यादा इंतजार था। प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, “भारतीय राजनीति में इसका इंतजार काफी समय से किया जा रहा था। हालांकि, लोग इसके समय, भूमिका और पद को लेकर बहस कर सकते हैं, लेकिन असल बात ये है कि आखिरकार प्रियंका ने राजनीति में आने का फैसला ले लिया। प्रियंका गांधी को बधाई और शुभकामनाएं।” दरअसल, वर्ष 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया था। ‘खाट पे चर्चा’ जैसे कार्यक्रम उनके दिमाग की ही उपज थी।

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनाना और उत्तर प्रदेश पूर्व की कमान सौंपना, कांग्रेस के मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है। काफी सारे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को प्रियंका गांधी के अंदर उनकी दादी इंदिरा गांधी की परछाई दिखती है। लोकसभा चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में महागठबंधन नहीं बन पाया और सपा-बसपा ने कांग्रेस को दरकिनार करते हुए सीटों का बंटवारा कर लिया, ऐसी स्थिति में प्रियंका गांधी का सक्रिय राजनीति में आने का फैसले का कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस साल 12 जनवरी को 47 वर्ष पूरा कर चुकी प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी का सहयोग हिंदी पट्टी राज्य उत्तर प्रदेश में करेंगी।

प्रियंका फरवरी के पहले सप्ताह में कार्यभार संभालेंगी। इससे पहले उनकी राजनीतिक गतिविधि लंबे समय से अपनी मां सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली और भाई राहुल गांधी के निवार्चन क्षेत्र अमेठी तक ही सीमित थी। प्रियंका के नाम की घोषणा के साथ ही कांग्रेस मुख्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा हो गई। कार्यकर्ताओं ने ”प्रियंका गांधी आयी है, नयी रोशनी लायी है” के नारे लगाए। पार्टी नेता राजीव शुक्ला ने कहा, ””प्रियंका जी को राजनीति में लाकर राहुल जी बड़ा संदेश दिया है। इससे पूरे देश में कांग्रेस को फायदा होगा।” उन्होंने दावा किया कि प्रियंका के नाम की घोषणा से ही भाजपा घबरा गई है। (एजेंसी इनपुट के साथ)