लोकसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस के साथ राजनीतिक लड़ाई में बढ़ोतरी हासिल करते हुए एनडीए में अपना कद बढ़ा लिया। वह एनडीए के सहयोगी भी बने और और बदले में उन्हें अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए पांच सीटें भी मिल गई हैं। दो बार के सांसद चिराग अपने पिता राम विलास पासवान की पारंपरिक सीट हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि उनके चाचा इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे।

चिराग पासवान ने चुनाव से ठीक पहले इंडियन एक्सप्रेस के साथ विशेष बातचीत की है। इस दौरान उन्होंने परिवारवाद,अपने पिता के बाद राजनीतिक विरासत और चाचा के साथ रहे मतभेदों पर खुलकर बात की है।

पिता के बाद कैसा रहा राजनीतिक सफर?

जवाब: जब से मैंने अपने पिता को खोया है तब से यह बहुत मुश्किल सफर रहा है। मेरा परिवार और पार्टी बंट गई है। मेरे अपनों ने ही मुझे किनारे कर दिया है। पहले मुझे अक्सर स्टार-किड राजनेता कहा जाता था। लेकिन संघर्ष ने मुझे एक बेहतर इंसान और नेता बनाया है। अब जब भाजपा ने हमें मूल एलजेपी के तौर पर स्वीकार कर लिया है और हम प्रतिष्ठित हाजीपुर सहित पांच सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, तो थोड़ी लड़ाई जीत ली गई है। लेकिन हम आगे की मुख्य लड़ाई के लिए तैयार हैं।

हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ने पर क्या सोचते हैं?

जवाब : मैं खुश हूं, थोड़ा भावुक हूं और घबराहट भी है। वजह है कि मेरे पिता ने बहुत ऊंचे मानदंड स्थापित किए हैं। हाजीपुर से चुनाव लड़ने के अवसर को मैं लोगों से जुड़े रहने के अपने निरंतर प्रयासों का हिस्सा नहीं कहूंगा, लेकिन मैं अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी महसूस करता हूं। सबसे बढ़कर मुझे हाजीपुर के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना है।

आपके चाचा खुद को रामविलास पासवान का उत्तराधिकारी बताते हैं, इसपर क्या कहेंगे?

यह सच है कि मेरे चाचा कहते हैं कि वह मेरे पिता की राजनीतिक विरासत के असली उत्तराधिकारी हैं। लेकिन मैं इस दौड़ में कभी नहीं था। मैंने कभी किसी तरह कोशिश नहीं की। मैं खुद को आगे बढ़ाने के लिए किसी का कद छोटा नहीं करना चाहता।

नीतीश कुमार पर क्या कहना है, क्या आप उनके साथ मंच साझा करने में सहज हैं?

हम सब मिलकर काम करने और बिहार की सभी 40 सीटें जीतने का प्रयास में हैं। अगर हम अपने निजी मुद्दों में उलझे रहेंगे तो यह गठबंधन के लिए अच्छा नहीं होगा। अपने पिता की तरह मैं भी राष्ट्र की प्राथमिकता को पहले रखने में विश्वास करता हूं। गठबंधन, पार्टी और व्यक्ति इस क्रम में बाद में आते हैं। मुझे चुनाव प्रचार के दौरान सीएम के साथ मंच साझा करने में कोई दिक्कत नहीं है।