लोकसभा चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन ने कई राज्यों में सीट बंटवारे के मुद्दे पर सफलता हासिल की है। लेकिन गठबंधन के सभी दलों के घोषणापत्रों और चुनावी मुद्दों पर नज़र डालेंगे तो काफी कुछ अलग दिखाई देता है। जहां कांग्रेस और डीएमके ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली पर चुप हैं वहीं सपा, राजद, सीपीआई (एम) और सीपीआई ने इसे बहाल करने का वादा किया है।

कांग्रेस के साथ-साथ सपा और राजद भी CAA पर चुप हैं, लेकिन डीएमके, सीपीएम और सीपीआई ने अपने घोषणापत्र में इसे खत्म करने का वादा किया है।

किन-किन दलों के घोषणापत्र में क्या है अलग?

जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने और तत्काल विधानसभा चुनाव कराने का वादा कुछ इंडिया गठबंधन के दलों ने किया है। वहीं सीपीआई (एम) और सीपीआई ने एक कदम आगे बढ़ते हुए विशेष दर्जे के साथ पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया है।

प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के घोषणापत्र में शैक्षणिक संस्थानों तक कोटा सीमित रखते हुए कहा गया है कि–‘हम एससी, एसटी और अनुसूचित जनजाति के लिए प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 (5) के संदर्भ में एक कानून बनाएंगे।’

जबकि सपा का कहना है कि पार्टी प्राइवेट सेक्टर में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देगी। डीएमके का कहना है कि प्राइवेट सेक्टर में सकारात्मक नीतियों को लागू करने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। सीपीआई (एम) और सीपीआई ने एससी, एसटी, ओबीसी और विकलांगों के लिए प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का वादा किया है।

कई मामलों में है समानता

इंडिया गठबंधन के तहत मौजूद दलों के कई मुद्दे एक जैसे भी हैं, जिनमें राष्ट्रीय जाति जनगणना कराना, सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को खत्म करना, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एम एस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को अपनाना शामिल है। कांग्रेस, सपा और सीपीआई (एम) ने एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, शहरी रोजगार गारंटी कानून का मसौदा तैयार करने और मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ाने का वादा किया है।

इंडिया गठबंधन के सभी दल एक साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने और संयुक्त रैलियां आयोजित करने पर विचार कर रहे थे लेकिन ऐसा दिखाई नहीं दिया है।