इंदर सिंह परमार शिवराज सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री है। साथ वह कट्टर हिंदूवादी नेता के रूप में जाने जाते है। कुछ अरसा पहले उन्होंने इसकी बानगी तब दिखाई जब परमार ने घोषणा की है कि सरकारी स्कूलों में अब वीर सावरकर का पाठ पढ़ाया जाएगा। स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री मंत्री इंदर सिंह परमार ने घोषणा करते हुए कहा कि वीर सावरकर पहले लेखक थे, जिन्होंने 1857 के आंदोलन को स्वतंत्रता संग्राम कहा था। भारत की आजादी में उनका बेहतरीन योगदान है और इसलिए उन्होंने सम्मान मिलना चाहिए।

लेकिन उनका ये ऐलान मध्य प्रदेश में सियासी भूचाल लेकर आया। कांग्रेस समेत दूसरे तमाम दलों ने उन पर तीखे हमले किए। हालांकि इंदर सिंह परमार के साथ केवल ये ही कंट्रोवर्सी नहीं जुड़ी है। बीते साल वो उस दौरान भी सुर्खियों में आए थे जब उनकी 22 साल बहू सविता परमार ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। खुदकुशी की यह वारदात शाजापुर जिले के कालापीपल तहसील के पोंचानेर गांव में हुई। सविता की शादी लगभग चार साल पहले परमार के बेटे देवराज परमार के साथ हुई थी। इस घटना के बाद परमार का परिवार विवादों के घेरे में आया।

2018 में परमार भारतीय जनता पार्टी के टिकट से शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र देवास लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। ये शाजापुर जिले में आता है। पेशे से कभी वकील रहे परमार शाजापुर के ही रहने वाले हैं। 2018 के चुनाव में परमार को 78952 वोट मिले कांग्रेस के रामवीर सिंह सिकरवार को 73329 वोट मिले थे। हालंकि ये सीट पहले भी बीजेपी के ही पास थी। शुजालपुर विधानसभा सीट पर 2013 के चुनाव में भाजपा के जसवंत सिंह हाड़ा ने कांग्रेस के महेन्द्र जोशी को 8656 वोटों के अंतर से हराया था।

परमार पहली बार विधानसभा चुनाव 2013 में कालापीपल से विधायक चुने गए थे। कालापीपल पर परमार ने कांग्रेस के कद्दावर नेता केदारसिंह मंडलोई को 9 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया था। बचपन से ही वो संघ से जुड़े थे। लेकिन राजनीति का सफर 1985 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले शुरू किया। शुजालपुर के जवाहरलाल नेहरू कॉलेज से छात्रनेता के रूप में राजनीति की शुरुआत की। 8 साल तक एबीवीपी में पूर्णकालिक संगठन मंत्री रहे। भाजयुमो में प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रहे। दो बार जिला भाजपा महामंत्री रहे।