Report by Mira Patel
देश में आम चुनाव जारी है। दो चरण का मतदान हो चुका है। हर राज्य में आम लोग लोकतंत्र के इस उत्सव का जश्न मना रहे हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसमें 96.8 करोड़ से अधिक लोग 2024 के इस लोकसभा चुनाव में मतदान करने के पात्र हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में वोटर संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में लगभग चार गुना ज़्यादा हैं। ब्रिटेन की तुलना में लगभग 20 गुना हैं और पाकिस्तान की तुलना में सात गुना ज़्यादा हैं।
1951 के बाद से मतदाताओं में छह गुना वृद्धि
लोकसभा चुनाव 2019 में 1951 के बाद से मतदाताओं में छह गुना वृद्धि देखी गई थी। जब लगभग 91.2 करोड़ लोग मतदान करने के पात्र थे। आजादी के पहले दशक के बाद 2014 तक भारत का मतदान प्रतिशत 55 से 62 प्रतिशत के बीच रहा। कई कारण होते हैं जिनसे मतदान का प्रतिशत घटता-बढ़ता रहता है और प्रभावित होता है । इन कारणों में सत्तारूढ़ दल और उम्मीदवारों का प्रदर्शन, विपक्षी दलों की स्थिति, धर्म, जाति, समुदाय और विचारधारा शामिल हैं।
भारत का पहला चुनाव
साल 1951 में हुए लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक मतदान प्रतिशत काफी बढ़ गया है। 1951 चुनावों में 44.87 प्रतिशत और 1957 में 45.44 प्रतिशत मतदान हुआ था जो किसी भी दशक में सबसे कम था।
भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी, जिसमें भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) अधिकारी सुकुमार सेन को मार्च में मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था।
19 अप्रैल (1950) को भारत के चुनाव कानून, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का प्रस्ताव करते हुए, प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संसद को बताया कि चुनाव 1951 के वसंत में होंगे।
उस वक़्त यह चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती थी। जिन्हें 17.5 करोड़ पात्र मतदाता को देखना था। जिनमें से 80 प्रतिशत से अधिक निरक्षर थे। चुनाव आयोग 17.3 करोड़ मतदाताओं को पंजीकृत करने में सफल रहा । यह संख्या अधिक हो सकती थी लेकिन लगभग 28 लाख महिलाएं वोट नहीं दे सकीं। बहरहाल चुनाव आयोग ने घर-घर जाकर अभियान चलाकर इस कार्य को सराहनीय ढंग से अंजाम दिया। सबसे अधिक मतदान केरल के कोट्टायम संसदीय क्षेत्र में (80.5 प्रतिशत) और सबसे कम मतदान वर्तमान मध्य प्रदेश के शहडोल में (18 प्रतिशत) दर्ज किया गया।
2014 और 2019 के चुनावों बढ़ी मतदाताओं की तादाद
2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने तो देश में 66.4 प्रतिशत मतदान हुआ और यह आंकड़ा बढ़कर 2019 में 67.4 प्रतिशत पहुँच गया। पिछले चुनावों में सबसे अधिक मतदान 1984 में और सबसे कम मतदान 1971 में दर्ज किया गया था।
यहां तक कि 1971 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी की कांग्रेस (आर) ने कुछ सहयोगियों के साथ 352 लोकसभा सीटें जीतीं, लेकिन मतदान प्रतिशत में भारी गिरावट आई। कम मतदान के कारणों को 1969 में कांग्रेस पार्टी में विभाजन और इंदिरा गांधी के पांच साल के कार्यकाल की समाप्ति से पहले लोकसभा को भंग करने और अपने निर्धारित समय से एक साल पहले आम चुनाव कराने के आदेश को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
हालाँकि, आपातकाल लगाने के उनके फैसले के कारण उनकी पार्टी की आश्चर्यजनक हार हुई और 1977 में अगले चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई, जिसमें 60.49 प्रतिशत मतदान हुआ। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई, उनकी मृत्यु से भारत आक्रोश और सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में आ गया।
माना जाता है कि राजीव गांधी ने अपनी मां की हत्या के ठीक 19 दिन बाद कहा था, “जब एक शक्तिशाली पेड़ गिरता है, तो उसके आसपास की धरती का हिलना स्वाभाविक है।” इंदिरा गांधी द्वारा छोड़े गए शून्य को उनके बेटे राजीव गाँधी ने भरा, जिन्होंने 1984 में नए सिरे से चुनाव का आह्वान किया। इस चुनाव में राजीव गाँधी ने एक शानदार जीत हासिल की, जिसमें 63.6 प्रतिशत मतदान हुआ और लोकसभा में कांग्रेस 400 सीटों का आंकड़ा पार कर गई।
क्यों ऐतिहासिक कहा गया 2014 का चुनाव?
साल 2014 का चुनाव ऐतिहासिक था क्योंकि 1984 के बाद यह पहली बार था कि किसी पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया। इस चुनाव में 66.4 प्रतिशत मतदान हुआ। कार्नेगी एंडोमेंट फॉर पीस की एक रिपोर्ट में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के वरिष्ठ विजिटिंग फेलो मिलन वैष्णव का कहना है कि 2014 के चुनाव में मतदान प्रतिशत में वृद्धि और भाजपा की बेहतर जीत के बीच एक मजबूत संबंध था।
इस बढ़े हुए मतदान में युवा मतदाताओं की बढ़ी भूमिका थी। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के निदेशक संजय कुमार द्वारा जर्नल फॉर सोशल साइंसेज में प्रकाशित एक शोध लेख में कहा गया है कि जिन राज्यों में युवा मतदाताओं की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि हुई है, वहां भाजपा के वोट शेयर में भी सबसे अधिक बढ़त देखी गई है।