आम आदमी पार्टी (आप) के विजवासन के बागी विधायक और पिछले लोकसभा चुनाव में दक्षिणी दिल्ली सीट से ‘आप’ उम्मीदवार कर्नल (सेवानिवृत्त) देवेंद्र सहरावत बताते हैं कि बीते समय में दिल्ली की शासक रहीं रजिया सुल्तान महिपालपुर के पास जंगलों में शिकार करने और वहां के झील में नौकायन करने आती थीं। वे चाहते थे कि उस झील को और अन्य गांवों के तालाबों और जोहड़ों को फिर से विकसित किया जाए लेकिन सरकारों की प्राथमिकता शायद बदल गई है। अब तो लोकसभा क्या विधानसभा के लिए उन्हें ‘आप’ टिकट नहीं देने वाली है। परिसीमन के बाद की दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट का चेहरा बदल गया है। ऐतिहासिक कुतुबमीनार, तुगलकाबाद किला, रंगपुरी पहाड़ी पर बने सुल्तान गौरी के मकबरा आदि के चलते यह इलाका अभी भी दुनिया के मानचित्र पर है। सांप्रदायिक सौहार्द के लिए मनाए जाने वाले फूलवालों की सैर, छतरपुर मंदिर से लेकर ख्यातिप्राप्त जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) दक्षिणी दिल्ली की कुछ विशिष्ट पहचानें हैं।

1967 में बनी दक्षिणी दिल्ली सीट पर जनसंघ के अध्यक्ष बलराज मधोक चुनाव जीते। इस सीट से विजय कुमार मल्होत्रा तीन बार चुनाव जीते और तीन बार हारे। 1984 के चुनाव में जीते कांग्रेस के ललित माकन की सिख आतंकवादियों ने हत्या कर दी। उस सीट से 1985 में हुए उपचुनाव में अर्जुन सिंह चुनाव जीते और पहली बार कांग्रेस की परंपरा से हट कर पार्टी के उपाध्यक्ष बने। मदनलाल खुराना और सुषमा स्वराज को संसद में भेजने वाले इस सीट का चरित्र विशिष्टि रहा।
कहने के लिए भले ही इस सीट के नीचे पहले भी दस विधानसभा सीटें होती थीं लेकिन अब सीटें बड़ी हो गई हैं और इस सीट पर मतदाताओं की तादात 19,29,313 हो गई है। पिछले चुनाव में भाजपा के रमेश बिधूड़ी ने ‘आप’ के देवेंद्र सहरावत को 107000 मतों से पराजित किया। कांग्रेस के 2009 के इस सीट के सांसद रमेश कुमार 1,25,213 मतमिल पाए। इस लोकसभा सीट के नीचे विजवासन, पालम, महरौली, छतरपुर, देवली, आंबेडकर नगर, संगम विहार, कालकाजी, तुगलकाबाद और बदरपुर में से केवल कालकाजी पहले की दक्षिणी दिल्ली सीट का इलाका था। बाकी नौ सीटें पहले के बाहरी दिल्ली सीट में थी।

इन दसों सीटों पर ‘आप’ के विधायक काबिज हैं। वहीं, 39 निगम सीटों में से 27 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास हैं। इस सीट पर दलित 19 फीसद, ब्राह्मण 9 फीसद, गूर्जर 9 फीसद, जाट 6 फीसद और अन्य पिछड़ा वर्ग 15 फीसद हैं। मुसलिम आबादी तो पांच फीसद है लेकिन पूर्वांचल के प्रवासियों की तादात 20 फीसद से ज्यादा है। जिसे कई विवादों के माध्यम से विपक्षी दल और भाजपा के ही एक धड़े ने रमेश बिधूड़ी के लिए सिरदर्द बनवा दिया है।
इसी आधार पर उनके अलावा रामवीर सिंह बिधूड़ी, ब्रह्म सिंह बिधूड़ी, पवन शर्मा आदि अनेक भाजपा के टिकट के दावेदार खड़े हो गए हैं। ‘आप’ ने तो बागी नेता दवेंद्र सहरावत के बजाए राघव चढ्ढा को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। ‘आप’ से कांग्रेस का समझौता न होने से कांग्रेस के टिकट के अनेक दावेदार सक्रिय हो गए हैं। उनमें विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष योगानंद शास्त्री, विजय लोचव, चतर सिंह के अलावा 2009 के सांसद रमेश कुमार के नाम प्रमुख हैं।

रमेश कुमार के बड़े भाई दिल्ली के दिग्गज नेता सज्जन कुमार 1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोप में जेल में हैं। 2009 के चुनाव ने इसी मुद्दे पर कांग्रेस ने टिकट देने के बाद उनका टिकट वापस लेकर उनके भाई को उम्मीदवार बनाया। कहा जा रहा है कि उस दंगे के आरोप में सजा पाए चारों नेता जाट हैं इसलिए इस चुनाव में जाटों का वोट भाजपा और ‘आप’ को शायद ही मिल पाए। पूरी सीट पर 54 गांव हैं लेकिन कच्ची कालोनियों की संख्या सैकड़ों में है। अनाधिकृत निर्माण के कारण ऐतिहासिक तुगलकाबाद किला के वजूद पर ही सवाल उठने लगे हैं। किले की जमीन को कब्जाने वाले इलाके के कई नेता प्रभावशाली हैसियत में हैं। कालकाजी, महरौली, आंबेडकर नगर में कच्ची कॉलोनियां नहीं हैं और विजवासन और तुगलकाबाद में कम हैं। जिनमें कम हैं उनमें पुनर्वास बस्तियों में हुए अवैध निर्माण की बाढ़ लगी हुई है।

संगम विहार, बदरपुर, देवली और एक हद तक छतरपुर में भी, हर तरफ कच्ची कालोनियां ही दिखती हैं। पूर्व विधायक विजय लोचव कहते हैं कि अपने बूते रोजगार करने वाले किसी को क्यों परेशान करेंगे अगर आप उन्हें सुविधा नहीं दे सकते तो उजाड़ने की भी बात नहीं करनी चाहिए। इसे ही दूसरे तरह से चतर सिंह कहते हैं कि केंद्र में भाजपा की सरकार है, निगम में भाजपा है फिर विकास क्यों नहीं दिख रहा है। सांसद रमेश बिधूड़ी की गिनती दिल्ली के सर्वाधिक सक्रिय सांसदों में होती है। उनका कहना है कि उनको अगर दिल्ली सरकार का जरा सा भी साथ मिल जाता तो वो वायदे पूरे कर डालते। हर काम के लिए उन्हें विभिन्न सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

चार साल के प्रयास के पिछले दिनों आश्रम से केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल) सड़क की नींव रखी जा सकी। आदर्श गांव योजना के तहत लिए गए भाटी गांव में दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज की मंजूरी हो जाने के बावजूद दिल्ली सरकार के काम में अडंगा लगाने से आज तक काम शुरू नहीं हो पाया। वैसे उन्होंने पांच साल में एक दिन भी अपने इलाके में काम बंद नहीं होने दिया। चौपाल, बारात घर, पार्कों का सौंदयीकरण लेकर निगम के नए स्कूल बनाए। चाहे गांव हो या कच्ची कॉलोनी किसी न किसी तरह वहां विकास के काम करवाए। पूरे इलाके में मेट्रो विस्तार के प्रयास में आंशिक सफलता मिली है। उनका सबसे अनोखा प्रयास युवा मतदाताओं को विकास कार्यों में जोड़ने का है। इसके लिए उन्होंने जगह-जगह बैठकें कीं।

वादे जो किए
सभी कच्ची कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाना
नई सड़क बनवाकर जाम से मुक्ति दिलवाना
नया कॉलेज और स्कूल बनवाना

वादे जो वफा न हुए
मेट्रो रेल को तुगलकाबाद से जैतपुर ले जाना संभव नहीं हुआ
भाटी में कॉलेज की जमीन आबंटित करवाई लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया
आदर्श गांवों की अनेक योजनाएं दिल्ली सरकार की वजह से पूरी नहीं हो पार्इं
आदर्श गांव में लोगों की समस्याएं कम नहीं हुईं

क्या रही शिकायतें
इलाका जाम से मुक्त नहीं हो पाया
पानी के लिए लोग तरसते रहे
ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने और उनकी पहचान बढ़ाने की कोई योजना नहीं बनी
कच्ची कॉलोनियां नियमित नहीं हुई
किसानों को फसलों के नुकसान का सही मुआवजा नहीं मिला और न ही खेती करने के लिए उन्हें सहुलियतें दी गर्इं

सांसद के दावे
सांसद का कहना है कि उनके इलाके में ज्यादातर काम बिना दिल्ली सरकार के संभव नहीं थे फिर भी उन्होंने हर संभव प्रयास करके हर गांव में चौपाल बनाए। इलाके में पानी की पूर्ति बढ़वाने के लिए अनेक बोरिंग करवाए। निगम के स्कूल शुरू करवाए। अनेक पार्कों का विकास करवाकर उसमें जिम लगवाए। दिल्ली सरकार का सहयोग मिल जाता तो प्रधानमंत्री के आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिए तीनों गांवों-भाटी, भरथल और घिटोरनी का संपूर्ण विकास करवाता।
-रमेश बिधूड़ी, सांसद

विपक्ष के बोल
‘आप’ के देवेंद्र सहरावत ने कहा कि सांसद ने इलाके को गंभीरता से लिया ही नहीं। न तो गांवों में काम हुए न ही कच्ची कॉलोनियों के लोगों को नारकीय जीवन मुक्ति मिली। वे तो अपनी केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ तक अपने लोगों को नहीं दिला पाए। केवल रजिया सुल्तान से जुड़ी झील ही नहीं अगर वे प्रयास करते तो अनेक गांवों के तालाबों और जोहड़ों को ठीक करवाकर पानी का जलस्तर बढ़ाया जा सकता था। सांसद अपनी केंद्र सरकार तक की योजनाओं का पूरा लाभ अपने इलाके के लोगों को नहीं दिलवा पाए। वे प्रयास करते तो पानी की कमी से जूझ रहे दक्षिणी दिल्ली का पूरा इलाका हरा भरा हो सकता था। दूसरी उनसे बड़ी शिकायत उनके व्यवहार को लेकर है। -देवंद्र सहरावत, उपविजेता, ‘आप’