लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में मंगलवार दोपहर अचानक हुए बड़े उलटफेर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उनके साथी कैबिनेट मंत्रियों ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। जिसके बाद नायब सिंह सैनी को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया गया। सैनी के साथ ही 5 अन्य मंत्रियों को शपथ दिलाई गयी। नायब सिंह सैनी हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और कुरुक्षेत्र से सांसद हैं। भाजपा के अचानक उठाए गए इस कदम के बाद सवाल उठता है कि आखिर सैनी जैसे नए चेहरे को मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी देने की वजह क्या है? आखिर क्यों नायब सिंह को ही सीएम पद के लिए चुना गया?
नायब सिंह सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं। पिछले साल उन्हें बीजेपी हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। सैनी को पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर का विश्वासपात्र माना जाता है। उन्हें संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। 1996 में उन्हें हरियाणा बीजेपी के संगठन में जिम्मेदारी दी गई। साल 2005 में नायब सिंह सैनी भाजपा अंबाला युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष बने। इसके बाद नायब सिंह सैनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2014 के विधानसभा चुनाव में नायब सिंह सैनी को नारायणगढ़ से टिकट दिया गया और वह जीतकर विधानसभा पहुंच गए। इसके बाद 2023 में उन्हें हरियाणा बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
मनोहर लाल खट्टर के करीबी
नायब सिंह सैनी को मनोहर लाल खट्टर के करीबी होने का भी फायदा मिला। उन्हें सीएम बनाने को हरियाणा की जाति-केंद्रित राजनीति में गैर-जाट मतदाताओं खासतौर पर पिछड़े समुदायों को एकजुट करने की बीजेपी की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। सैनी राज्य में आठ प्रतिशत ओबीसी समुदाय पर मजबूत पकड़ रखते हैं। राज्य में सैनी जाति की कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला, हिसार और रेवाड़ी जिलों में अच्छी खासी आबादी है।
हरियाणा में जातियों का गणित
हरियाणा की आबादी में जाट लगभग 23 प्रतिशत हैं। यहां जाट राजनीतिक रूप से भी प्रभावी रहे हैं। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से कम से कम 40 सीटों पर जाटों का सीधा प्रभाव है। 2014 के विधानसभा चुनाव में जाटों ने बीजेपी को एकतरफा वोट दिया था लेकिन 2019 चुनावों में मामला उल्टा पड़ गया।जाटों का वोट कांग्रेस, जेजेपी और आईएनएलडी को गया।भाजपा के दिग्गज जाट नेताकैप्टन अभिमन्यु, ओम प्रकाश धनखड़, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता और तत्कालीन राज्य भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला सभी चुनाव हार गए।
हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं। जाटों को ये बात खटकती रही है। 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन इसका ही परिणाम रहा। नायब सैनी पिछड़ी जाति से आते हैं। कहा जा रहा है कि सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी राज्य में पंजाबी और बैकवर्ड वोट बैंक बनाना चाहती है।
OBC समुदाय की मांग
नायब सैनी सीएम बनाने को गैर-जाट और ओबीसी मतदाताओं को खुश करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा, यह मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने की भी एक कोशिश है। हरियाणा की आबादी का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा जाट हैं, जिनका समर्थन मोटे तौर पर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी (JJP) और इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के बीच बंटा हुआ है।
हरियाणा का ओबीसी समुदाय पिछले कुछ समय से सत्ताधारी दल पर समुदाय के लोगों की अनदेखी के आरोप लगा रहा है। हाल ही में रोहतक मे ओबीसी समाज ने एक बड़ी रैली की थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार में ओबीसी समाज अब तक अपने हक और अधिकारों से वंचित है। समुदाय के लोगों ने कहा कि अगर उनको हक नहीं मिला तो सत्ताधारी दल को समुदाय के लोग वोट नहीं करेंगे।
ओबीसी समाज के संगठनों के पदाधिकारियों की मांग है कि समुदाय के लोगों को हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से कम से कम 25 मिलें। कहना है कि हरियाणा में ओबीसी समुदाय के काफी वोट बैंक होने के बावजूद समाज के लोगों को उस लिहाज से टिकट नहीं दी जाती। उन्होंने कहा कि इस बार लोकसभा की 10 में से 3 और विधानसभा की 90 में से कम से कम 25 सीट ओबीसी समुदाय के लोगों को दी जाएं।