हालिया लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी सिर्फ 52 सीटों तक सिमट गई। यही वजह है कि कांग्रेस में इन दिनों उथल-पुथल का दौर चल रहा है और पार्टी के कई नेता इस्तीफे की पेशकश कर रहे हैं। खुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस्तीफा देने की बात कह रहे हैं। इसी बीच हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर ने इसके उल्ट स्टैंड लिया है और इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है। बता दें कि हरियाणा में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और पार्टी राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से एक पर भी जीत दर्ज नहीं कर सकी। तंवर ने साफ कर दिया है कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे।
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जब पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद अशोक तंवर से उनके इस्तीफे को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि “पार्टी की हार के लिए पार्टी अध्यक्ष ही अकेला जिम्मेदार नहीं है। मैं अपने पद से इस्तीफा नहीं दूंगा और ना ही मेरी ऐसी कोई योजना है।” तंवर का कहना है कि “यह सामूहिक जिम्मेदारी है। यह कोई एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है। हमें हार के कारणों पर मंथन करना होगा। हमने पार्टी उम्मीदवारों की बुधवार को दिल्ली में एक बैठक बुलायी है। इस बैठक में पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे। इसके बाद हम भविष्य की योजना पर विचार करेंगे।”
बता दें कि आम चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी के यूपी अध्यक्ष राज बब्बर , महाराष्ट्र में पार्टी अध्यक्ष अशोक च्वहाण, झारखंड पार्टी अध्यक्ष अजोय कुमार, ओडिशा पार्टी अध्यक्ष निरंजन पटनायक और असम पार्टी अध्यक्ष रिपुन बोरा समेत कई पदाधिकारियों ने या तो अपना इस्तीफा भेज दिया है या फिर अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है।
ऐसी खबरें हैं कि हरियाणा में पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और पार्टी अध्यक्ष अशोक तंवर के बीच तालमेल की कमी है। हुड्डा तो तंवर को पार्टी अध्यक्ष पद से हटवाने के लिए पार्टी आलाकमान से गुहार भी लगा चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी भीतरघात को शांत नहीं कर पायी और उसी के चलते पार्टी को आम चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। आम चुनावों में अशोक तंवर खुद सिरसा लोकसभा सीट से और भूपिंदर सिंह हुड्डा सोनीपत से चुनाव हार गए।