हरियाणा में इस बार बीजेपी की डगर कुछ मुश्किल दिखाई पड़ती है। दो बार की सत्ता विरोधी लहर है, किसानों का प्रदर्शन, पहलवानों की नाराजगी और इसके ऊपर दुष्यंत चौटाला के साथ अनबन की खबरें आने लगी हैं। ये किसी भी सूरत में हरियाणा जैसे अहम राज्य में बीजेपी के लिए अनुकूल स्थिति नहीं मानी जा सकती। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जाट आंदोलन ने सत्ता गंवाने की कगार पर ला दिया था, इस बार फिर कई प्रदर्शनों ने खतरे की घंटी बजा दी है। अब इस घंटी की गूंज बीजेपी के कानों में पड़ी है, उसने इसका एक तोड़ भी निकाला है।

बीजेपी की मंदिर पॉलिटिक्स और हरियाणा का रण

मंदिर पॉलिटिक्स बीजेपी की हिंदुत्व विचारधारा के साथ सटीक बैठता है, पार्टी ने जब से अपना सियासी सफर शुरू किया है, इस मुद्दे ने उसे हर बार अच्छे परिणाम दिए हैं। अब जब हरियाणा में माहौल कुछ खिलाफ लग रहा है, पार्टी फिर उस पुराने मुद्दे की ओर बढ़ चली है। असल में विश्व हिंदू परिषद एक नई मुहिम शुरू कर रही है- जाने अपने मंदिर, इसकी एक अलग वेबसाइट भी बनाई जा रही है। अब शुरुआत वीएचपी कर रहा है, लेकिन समर्थन बीजेपी का है। दिल्ली में बकायदा कल एक बड़ा कार्यक्रम होने वाला है। हरियाणा के बीजेपी इनचार्ज से लेकर कई दूसरे बड़े नेता शिरकत करने वाले हैं। पूरी तैयारी है कि इस इवेंट को बड़ा बनाया जाए, सीधे-सीधे जनता के बीच में इसे चर्चा का विषय बनाया जाए।

क्या है ये टेंपल प्रोजेक्ट, बीजेपी के लिए क्यों जरूरी?

इस मुहिम के जरिए देश के जितने भी बड़े मंदिर हैं, उनकी सारी जानकारी दी जाएगी, कैसे जा सकते हैं, ये बताया जाएगा, उनका इतिहास क्या रहा है, इस पर रोशनी रहेगी। इसमें दिल्ली के पौराणिक मंदिरों को शामिल किया जाएगा, चुनावी राज्य हरियाणा पर फोकस रहेगा, कुछ दूसरे राज्यों की जानकारी भी दी जाएगी। यानी कि बिना मंदिर जाए लोगों को फिर हिंदुत्व की धरा से जोड़ा जाएगा।

रेसलर्स के प्रदर्शन से क्या कनेक्शन?

वैसे जिस कार्यक्रम के जरिए बीजेपी सियासी हवा को बदलना चाहती है, उसमें सांसद और पूर्व रेसलर बबीता फोगाट को भी शामिल किया गया है। इसके सियासी मायने निकला लाजिमी है, इसी तरह राम जन्मभूमि के साथ जुड़ा रहा विश्व हिंदू परिषद भी कार्यक्रम में शिरकत करेगा। सवाल ये उठता है कि क्या बीजेपी हरियाणा में मुद्दे को बदलना चाहती है? क्या जनता के बीच में नेरेटिव सेटिंग का काम हो रहा है? राजनीतिक जानकार हां बोलते हैं, लेकिन बीजेपी वाले ना में जवाब देते हैं।

बीजेपी के हरियाणा में खिलाफ जा रहे समीकरण

अब बीजेपी के लिए ये मंदिर पॉलिटिक्स वाला नेरेटिव मायने रखता है क्योंकि इस समय उसका जमीन पर समीकरण कुछ बिगड़ता नजर आ रहा है। असल में हरियाणा की राजनीति में जाट सबसे ज्यादा सक्रिय माने जाते हैं, 30 से 35 विधानसभा सीटों पर तो उनका सीधा प्रभाव है। लेकिन इस वर्ग का दिल जीतने के लिए बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं, कांग्रेस भूपेंद्र हुड्डा के सहारे आगे बढ़ रही है। इसी तरह मुस्लिम मतदाता मजबूती के साथ कांग्रेस के साथ खड़ा है, दलित वोटबैंक में भी सेंधमारी करने की तैयारी है। अब इस स्थिति में बीजेपी अपने रटे रटाय फॉर्मूले पर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है, सफल कितनी रहती है, ये आने वाले समय में साफ होगा।