उन्होंने भाजपा की प्रदेश इकाई द्वारा अपने संकल्प पत्र में कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ (एंटी-रेडिकलाइजेशन सेल) स्थापित करने के वादे को एक अच्छी पहल करार दिया और कहा कि इस पर केंद्र और अन्य राज्य सरकारें भी विचार कर सकती हैं। भाजपा ने चुनावी घोषणा पत्र को संकल्प पत्र का नाम दिया है।

एक साक्षात्कार में शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान गुजरात के सर्वांगीण विकास और तुष्टीकरण कतई बर्दाश्त ना करने की नीति को पिछले 27 वर्षों में लोगों द्वारा बार-बार भाजपा पर विश्वास जताने का मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा, ‘गुजरात में भाजपा अप्रत्याशित जीत दर्ज करेगी। क्योंकि लोगों को हमपर पूरा भरोसा है।’

विधानसभा चुनाव में ‘आप’ की दस्तक के सवाल पर शाह ने कहा, ‘गुजरात के लोगों के दिमाग में ‘आप’ कहीं नहीं ठहरती है। चुनाव नतीजों का इंतजार कीजिए, शायद ‘आप’ उम्मीदवारों का नाम सफल उम्मीदवारों की सूची में आए ही नहीं।’ शाह ने कहा, ‘कांग्रेस अब भी मुख्य विपक्षी पार्टी है, लेकिन वह राष्ट्रीय स्तर पर संकट के दौर से गुजर रही है, जिसका असर गुजरात में भी दिख रहा है।’भारत जोड़ो यात्रा के बारे में उन्होंने कहा,‘ नेताओं को परिश्रमी होना चाहिए और जब कोई परिश्रम करता है तो अच्छा लगता है। लेकिन राजनीति में सतत प्रयास से ही परिणाम मिलते हैं। ’

विपक्षी दल भाजपा पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह शासन से जुड़े स्थानीय मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए राज्यों के चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे उठाती है। इसपर शाह ने कहा, ‘ गुजरात की सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा अलग-अलग मुद्दे नहीं हैं। और यदि देश सुरक्षित नहीं होगा तो गुजरात कैसे सुरक्षित रहेगा? ’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘सीमावर्ती राज्य होने के चलते गुजरात के लोग राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर संवेदनशील हैं। देश के किसी भी कोने में हम राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित होने देने का खतरा नहीं उठा सकते।’

केंद्रीय एजंसियों के दुरुपयोग के विपक्षी दलों के आरोपों पर शाह ने कहा कि देश में एक स्वतंत्र और तटस्थ न्यायपालिका है और यदि केंद्रीय एजंसियों का कोई दुरुपयोग हो रहा है तो वे न्यायपालिका का रुख कर सकते हैं। चुनावी घोषणा पत्र में कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ गठित किए जाने के वादे को पर शाह ने कहा कि पापुलर फ्रंट आफ इंडिया जैसे संगठन यदि युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेलें तो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विस्तार से जांच व पड़ताल के बाद पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाया गया था और कई राज्यों ने भी केंद्र के समक्ष यह मांग उठाई थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या गुजरात में कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ गठित किए जाने संबंधी घोषणा को अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा, शाह ने कहा,‘इसे कानूनी स्वरूप दिया जाएगा और इसकी कार्यप्रणाली तय की जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘इसके बारे में राष्ट्रीय स्तर पर और अन्य राज्यों द्वारा भी विचार किया जा सकता है।’ यह पूछे जाने पर कि यदि भाजपा गुजरात का चुनाव जीतती है तो भूपेंद्र पटेल ही मुख्यमंत्री बनेंगे, शाह ने कहा कि वे अच्छा काम कर रहे हैं।’

कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया

नई दिल्ली</strong>: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर आदिवासियों के समृद्ध इतिहास के संरक्षण के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिशा में ठोस कदम उठाए। शाह कडाणा गांव में सभा को संबोधित कर रहे थे। शाह ने कहा कि आजादी के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं जिन्होंने आदिवासियों के गौरव और विरासत के संरक्षण के लिए काम किया।

प्रधानमंत्री ने ही 2021 में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।उन्होंने कहा कि मुंडा और अन्य कई आदिवासी नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई है लेकिन उन्हें कांग्रेस के शासन में उचित श्रेय नहीं मिला।

भाजपा नेता ने कहा कि जब तक कांग्रेस सत्ता में रही, उसने आदिवासियों के समृद्ध इतिहास को बचाने के लिए कुछ नहीं किया। जैसे ही मोदी प्रधानमंत्री बने, उन्होंने घोषणा की कि देशभर में 10 आदिवासी संग्रहालयों का निर्माण कराया जाएगा। आदिवासी समुदाय से आने वालीं द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति के रूप में चुनाव का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस ने 65 साल के अपने शासन में कभी इस समुदाय से किसी को शीर्ष संवैधानिक पद पर बैठाने के बारे में नहीं सोचा।