कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो चुके गौरव वल्लभ अब देश की सबसे पुरानी पार्टी पर जमकर बरस रहे हैं। सनातन विरोधी बताने से लेकर कई दिग्गज नेताओं की काबिलियत तक पर सवाल उठाया जा रहा है। नाम किसी का नहीं लिया है, लेकिन संदेश एकदम साफ गया है। अब बीजेपी में शामिल होने के बाद गौरव वल्लभ ने जनसत्ता को एक खास इंटरव्यू दिया है। एक ऐसा इंटरव्यू जहां पर कांग्रेस के ही कई बड़े राज से पर्दा उठ गया है। पूरा इंटरव्यू यहां पढ़िए-

आपको कब अहसास हुआ कि कांग्रेस सनातन के खिलाफ हो गई है?

कांग्रेस के ही कुछ बड़े नेता और गठबंधन के वरिष्ठ नेता खुल्लम-खुला सनातन के विरोध बयान दे रहे थे। कांग्रेस उस समय चुप्पी साधे रहती थी, तो ये एक तरह से मौन स्वीकृति है… आपके बड़े नेता कोई बयान दे, और आपकी पार्टी उसका खंडन ना करे तो ये मौन स्वीकृति ही मानी जाएगी। पिछले सात-आठ महीने से मुझे ऐसा लगने लगा था और मैंने शीर्ष नेतृत्व को इससे अवगत भी करवाया…जब प्राण प्रतिष्ठा का न्योता कांग्रेस ने ठुकरा दिया था, उसके बाद तो मैंने टीवी डिबेट में जाना ही बंद कर दिया था, पॉलिटिकल लाभ-हानी अपनी जगह है, लेकिन ये तो पाप है। मैं आपके पाप का हिस्सा नहीं बन सकता था।

आपकी बातों से ऐसा लगा कि कांग्रेस अपने ही सिद्धांतों पर नहीं चल रही है?

मैंने अपने पत्र में मुद्दा उठाया था कि प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करते-करते कांग्रेस अब खुद की नीतियों का ही विरोध करने लगी है। ये नहीं भूलना चाहिए कि ग्लोबलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और लिबरलाइजेशन नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ही लेकर आई थी। लेकिन अब कांग्रेस उसी सिद्धांत का विरोध करती है। जब एयर इंडिया का विनिवेश हुआ, एक बिजनेस ग्रुप ने उस कंपनी को खरीदा, कांग्रेस ने तो उस ग्रुप पर भी बेबुनियाद आरोप लगा दिए।

आप वेल्थ क्रिएटर्स की बात कर रहे, कुछ महीने पहले अडानी मुद्दे पर राहुल को डिफेंड करते थे?

आपने सही कहा बिल्कुल, लेकिन जब पूरी जांच हो गई, सेबी ने जांच की, उस जांच में क्लीन चिट मिल गई. उसके बाद भी सुबह-शाम आप कैसे अडानी-अडानी कर सकते हैं…आप हर वेल्थ क्रिएटर को गाली कैसे दे सकते हो…अब तो जांच में पाया गया कि कोई इनसाइडर ट्रेडिंग नहीं हुई, फिर भी आप उन वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे रहे हो…आज के टाइम में तो कोई सीईओ मोदी की तारीफ कर दे तो आप तो उस कंपनी के खिलाफ ही लग जाते हो… मैं साफ कहना चाहता हूं कि संपत्ति कमाना या वेल्थ क्रिएट करना इस देश में कोई अपराध नहीं है।

जो बात आज आप इतना खुलकर बोल रहे हैं, कभी कांग्रेस हाईकमान को ये सब बताया?

मैंने जो बातें आज आपको बताई हैं, ये बात मैंने कांग्रेस के हर बड़े नेता को बताई है, जिन भी दिग्गज नेताओं का नाम आपके मन में आता है, उन सभी को मैंने ये सब बताया। मैं यहां नाम नहीं बता रहा हूं, लेकिन सभी को इस बात से अवगत करवाया। वो लोग मेरी बात को सुनते थे। लेकिन मेरी बात को तुच्छ माना गया, गौड़ माना, आपने देश की नब्ज को नगण्य माना। पिछले चार महीने से मैंने ये सारी बातें शीर्ष नेतृत्व को बताई है। अपनी आपत्तियां भी बताईं, लेकिन मेन दिक्कत तो ये है कि इस समय कांग्रेस में जो निर्णय लेते हैं, वो जीवन में क्लास के मॉनिटर का चुनाव भी नहीं लड़े हैं। मैंने तो अपने पत्र में जिक्र किया है कि कांग्रेस को अभी ग्राउंड रियलिटी तक नहीं पता है। आप जो निर्णय लेते हो, आप उसके सियासी और आर्थिक फायदे-नुकसान तक नहीं समझ पा रहे हो… जो व्यक्ति आज निर्णय ले रहा है, मैं किसी पर भी छींटा-कशी नहीं करना चाहता हूं, लेकिन जो फैसला ले रहा है उसे ना इकोनॉमिक्स का E आता है, ना पॉलिटिक्स का P आता है और ना उसे देश की नब्ज का कोई ज्ञान है।

आप कहना चाहते हैं कि राहुल गांधी किसी से प्रभावित रहते हैं?

आप चाहते हैं कि मैं किसी भी सीधी टिप्पणी कर दूं, मैं बस ये कह रहा हूं कि कांग्रेस पार्टी को जमीनी हकीकत का कोई ज्ञान नहीं है। जिसने राम मंदिर Refusal वाला लेटर ड्राफ्ट किया था, वो क्लास के मॉनिटर बनने लायक नहीं है, आप खुद सोचिए पिछले 25 साल से एक ही शख्स कांग्रेस पार्टी का मेनिफेस्टो तैयार कर रहा है। अगर उनके दिमाग में, विवेक में दम होता तो पार्टी की ये हालत नहीं होती। अगर उनकी बातों में दम होता तो कांग्रेस 42 सीटों पर नहीं आ जाती। कांग्रेस पार्टी में सिर्फ उन लोगों को ही तवज्जो दी जाती है जो मोदी जी को व्यक्तिगत रूप से गाली दें, जो सनातन के विरोध में लगातार बोलें।

संजय निरुपम ने कहा- सेक्युलरिज्म का मतलब एक धर्म का विरोध करना नहीं, सहमत हैं?

मैं तो अर्थशास्त्र का विद्यार्थी हूं, मैं आपको बताता हूं कि एक टर्म होती है इकोनॉमिक सेक्युलरिज्म… जो पार्टी 2047 में भारत को विकसित बनाने का विरोध करती है, वो खुद को सेक्युलर बता ही नहीं सकती। हर चीज में आप बाधा उत्पन करते हो, विपक्ष की भूमिका ये होती है कि वो सकारात्मक आलोचना करे, देश में उसकी जरूरत है, लेकिन आलोचकना कर भागने की जरूरत नहीं है। उसी आलोचना में ही सकारात्मकता आ सकती है जब आप साथ में समाधान भी दें, ये बताएं कि चीजों को बेहतर कैसे किया जाए।

क्या आपको कांग्रेस ने रोकने की कोशिश की, हाईकमान की क्या प्रतिक्रिया थी?

मेरा साफ मानना है कि जो Employer अपने Employee को इस्तीफे के बाद प्रमोशन देने की बात करे, उससे घृणित Employer कोई दूसरा नहीं हो सकता। आपको इनडायरेक्टली मैंने सारा जवाब दे दिया है। मैंने तो चार महीने तक अपनी बात कहने की पूरी कोशिश की, उन्हें समझने का समय भी दिया। लेकिन आज जो कांग्रेस पार्टी है, वो AICC नहीं है, उसे All India चापलूस कमेटी कहना चाहिए। आज AICC वो लोग चला रहे हैं जो यूपीए सरकार के मंत्रियों के पीए हुआ करते थे, अब पीए राजनीतिक पार्टी नहीं चला सकते हैं, वे ड्रॉफ्ट बना सकते हैं, एग्जीक्यूशन में मदद कर सकते हैं, लेकिन उनके पास कोई खुद का राजनीतिक विचार नहीं होता है। आज जो कांग्रेस के मीडिया प्रमुख हैं, वे भी पीए थे, जिन्हें जनता ने नकार दिया, कांग्रेस ने उन्हें नीति निर्धारण की जिम्मेदारी दे रखी है।

कांग्रेस फिर न्याय योजना की बात कर रही है, फायदा होगा क्या?

मैं आपको न्याय का उदाहरण देता हूं, न्याय के कॉन्सेप्ट को 2019 के चुनाव में देश की जनता ने नकार दिया था। मैंने इनको कहा था कि ये कॉन्सेप्ट देश में नहीं चल सकता है, अगर आप एक बात को चार बार बोल देंगे, इसका मतलब ये नहीं होता है कि उसे स्वीकृति मिल जाएगी।

बीजेपी में रहकर आपकी क्या भूमिका, अपने अर्थशास्त्र का कैसे इस्तेमाल करेंगे?

मुझे अगर बीजेपी ज्वाइन करनी ही थी तो मैं क्या 10 दिन पहले ज्वाइन नहीं कर लेता। उस समय तो टिकट वितरण भी हो रहा था, मैं साफ कर दूं कि मैं सत्ता के लिए राजनीति में नहीं आया हूं। मैंने तो कांग्रेस भी तब ज्वाइन की थी जब उसके सिर्फ 42 सांसद थे। अब बीजेपी में भी तब शामिल हुआ हूं जब पार्टी ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। अगर ऐसा नहीं करता तो बोलते कि इसको टिकटों का लालच है। मैं कोई सीट नहीं लेना चाहता हूं। अगर मैं लड़ना चाहता तो पहले ज्वाइन करता। अब दो चरणों के नामांकन तारीख भी निकल चुकी है। मेरी जो भी भूमिका होगी, उसका फैसला बीजेपी करेगी। लेकिन ये जरूर है कि बीजेपी में रहकर मै क्या करने वाला हूं, मैंने अपनी भूमिका जरूर सोची है। पीएम मोदी ने 2047 तक जो विकसित भारत बनाने का सपना देखा है, मैं अपना गिलहरी जितना योगदान उसमें देना चाहूंगा।

अब तमाम सवालों का जवाब देने के बाद गौरव वल्लभ के साथ हमने एक Rapid Fire Round भी किया, हमने एक नेता का नाम उनके सामने रखा और जो भी उनके मन में तुरंत विचार आया, वो उन्होंने बताने का काम किया। बड़ी बात ये रही कि उन्होंने बेबाक होके बिना किसी फिल्टर के हर नेता के बारे में बोला। आइए एक नजर इस Rapid Fire Round पर-

नेताजवाब
राहुल गांधीनॉट फिट फॉर पॉलिटिक्स (Not fit for Politics)
नरेंद्र मोदीए विजनरी टू इमप्लीमेंट हिज थॉट (A visionary to implement his thought)
संबित पात्राही बिकम मेंमर ऑफ पार्लियामेंट फ्रॉम पुरी (He become Member of Parliament from Puri)
मल्लिकार्जुन खड़गेए गुड ह्यूमन बींग (A good human being)
सोनिया गांधीए पर्सन हू अंडरस्टैंड्स मैनी थिंग्स बेटर दैन 99% ऑफ कांग्रेस लीडर्स (A person who understands better than 99% of congress leaders)
अरविंद केजरीवालसबसे भ्रष्ट नेता (The most corrupt leader)
अमित शाहए मैन मेड फॉर विनिंग इलेक्शन (A man made for winning election)
गौरव वल्लभए पर्सन हू थिंक्स मोर बाय हार्ट (A person who thinks more by heart)