Gopalganj Lok Sabha Election 2024 Date, Candidate Name: गोपालगंज सारण से अलग होकर 2 अक्टूबर 1973 में जिला बना था। गोपालगंज बिहार का अंतिम जिला है, जो यूपी सीमा पर स्थित है। गोपालगंज 2033 वर्गकिलोमिटर में फैला है, भौगोलिक रूप से यूपी सीमा से सटा है। यूपी के देवरिया और कुशीनगर से सटा है। वहीं, बिहार के पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सारण और सीवान जिले से जुड़ा है। गोपालगंज लोकसभा में 6 विधानसभा हैं। बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचायकोट, हथुआ, भोरे, जिसमें भाजपा के 2 राजद के 2 और जदयू के 2 विधायक हैं।

ऐतिहासिक मान्यता के मुताबिक चेरो वंश ने गोपालगंज पर शासन किया था। वहीं, अंग्रेजी हुकूमत आने के बाद महाराज फतेह बहादुर शाही ने आजादी को लेकर कई लड़ाइयां लड़ी, उनके अलावे जेपी आंदोलन, महिला शिक्षा के लिए आंदोलन, कर का भुगतान न करने और 1930 में बनकट्टा के बाबू गंगा विष्णु राय और बाबू सुंदर लाल के नेतृत्व में शराबबंदी के खिलाफ आंदोलन शामिल है। साल 1935 में पंडित भोपाल पांडे ने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी।

गोपालगंज में जन्मे कई लोगों ने अपनी हुनर से जिले का नाम देश स्तर पर पहुंचाया है. जिसमें संगीतकार चित्रगुप्त, साहित्यकार डॉ. मैनेजर पांडेय, अभिनेता पंकज त्रिपाठी, बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्र गोपालगंज के निवासी हैं।

गोपालगंज की कुल जनसंख्या 33 लाख 36 हजार अनुमानित हैं. कुल मतदाता 2010682 हैं. पुरुष मतदाता 1020633 हैं. जबकि, महिला मतदाता 989969 और थर्ड जेंडर मतदाता 80 हैं। जातीय समीकरण और सामाजिक समीकरण गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र ब्राम्हण बाहुल्य माना जाता है। वहीं, अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या भी ज्यादा है। वर्तमान में यह सीट अनुसूचित जाति सामान्य के लिए आरक्षित है। साल 2009 में पूर्णमासी राम, साल 2014 में जनक राम और साल 2019 में आलोक कुमार सुमन एनडीए से सांसद चुने गए।

गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र में गन्ना, गंडक और गुंडा की समस्या रही है। कृषी प्रधान जिला होने के कारण बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है। मुख्य फसल के तौर पर गन्ने की खेती की जाती है। गोपालगंज जिले में 4 चीनी मिल हुआ करती थी। हाल में 2 मिल चालू है। गंडक नदी के कारण बाढ़ और कटाव की समस्या बनी रहती है। कुचायकोट, सदर, मांझा, बरौली, सिधवलिया और बैकुंठपुर प्रखण्ड के सैकड़ों गांव गंडक नदी के बाढ़ और कटाव से प्रभावित होते हैं।

यूपी सीमा और सीवान, पूर्वी, पश्चिमी चंपारण की सीमा है। गोपालगंज लोकसभा अपने आपराधिक घटनाओं को लेकर चर्चा में रहा है। पूर्व में कई बार यहां विधानसभा के चुनाव से पूर्व प्रत्याशी की हत्या हो चुकी है, जिस कारण चुनाव टालने पड़े हैं। गोपालगंज लोकसभा में अपराध बड़ा मुद्दा है।

परम्परागत रूप से गोपालगंज लोकसभा सीट एनडीए के कब्जे में रही है। साल 2004 में राजद से साधु यादव सांसद बने थे, उसके बाद जदयू लगातार जीतती रही है। वहीं, साल 2014 में भाजपा से जनक राम ने जीत हासिल की। साल 2019 में एनडीए से जदयू के आलोक कुमार सुमन ने जीत हासिल की। गठबंधन में यह सीट साल 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति कुमारी भारी मतों से पराजित हुई थीं. वही, साल 2019 में यह सीट राजद के खाते में रही थी। राजद के सुरेंद्र राम 2019 में 2 लाख वोटों से चुनाव हार गए थे।