कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है और भाजपा महज़ 66 सीटों पर सिमट कर रह गयी है। चुनावी नतीजों के बाद अब चर्चा का दौर जारी है कि राज्य में अपने कार्यकाल के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा उठाए गए हाई-प्रोफाइल हिंदुत्व के मुद्दे क्यों कारगर साबित नहीं हो पाए? भाजपा ने चुनावी अभियान के दौरान बजरंग दल पर बैन के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने का बड़ा प्रयास किया लेकिन चुनावी नतीजों पर इसका खासा फर्क नहीं पड़ सका है।
पीएम मोदी को मैदान में उतारा लेकिन विफलता ही हाथ लगी…
चुनावी अभियान के दौरान भाजपा ने शुरू में हिजाब और हलाल मांस पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों पर कदम बढ़ाने के प्रयास किए और अपने वोट बैंक को साधने में जुटी रही लेकिन बाद में भाजपा के लिए मैदान कठिन होता चला गया। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और बजरंग दल को एक ही स्पेस में रखकर बैन करने की बात कही। इसका जवाब देने के लिए भाजपा का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिन्होंने कांग्रेस के वादे को “हनुमान को कैद” करने की मांग से जोड़ा। इसके बाद पार्टी ने मतदाताओं से कहा कि जब वे मतदान करने जाएं तो “जय बजरंग बली” का नाम लेकर वोट करें आखिर में उडुपी जहां 2022 की शुरुआत में हिजाब का मुद्दा सामने आया, राज्य का एकमात्र जिला था जहां भाजपा ने सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की और बाकि जगह पार्टी के हालत खराब ही दिखाई दिए।
अपने गढ़ में भी नहीं चला बजरंग बलि का मुद्दा
इस दौरान चर्चा यह थी कि भाजपा हिंदुत्व का आधार रखने वाले कोडागु जिले में बजरंग बलि \ बजरंग दल के मुद्दे का फायदा हासिल कर पाएगी लेकिन वह अपने गढ़ माने जाने वाले जिले की दोनों सीटों से हार गई। कांग्रेस उम्मीदवार ए एस पोन्नाना और मंतर गौड़ा ने भाजपा के मौजूदा विधायक केजी बोपैया और अप्पाचू रंजन को भारी उलटफेर में हरा दिया। 2013-2018 की सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तहत कोडागु में टीपू जयंती मनाने की योजना को लेकर हिंसक आंदोलन देखा गया था।
कर्नाटक में भाजपा के लिए हिन्दुत्व के पोस्टर बॉय कहे जाने वाले भाजपा महासचिव सी टी रवि को चिकमगलूर निर्वाचन क्षेत्र में उलटफेर का सामना करना पड़ा। वह यहां कांग्रेस उम्मीदवार एच डी थिमैया से हार गए। 2004 के बाद से चार बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।